इस नस्ल की बकरी है गरीब की गाय, कम खर्च में देगी तगड़ा मुनाफा
पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जैसे जिलों में बकरीपालन लोगों की मुख्य आय का साधन है। इस पर अधिक पढ़ें
Saral Kisan News : पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में लोग पशुपालकी में काम करते हैं, खासकर बकरीपालन में। बकरी पालन एक अच्छा आवश्यक विकल्प है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां गाय-भैंस पालन की जगह कम है। बकरियों को कम खर्च में अच्छा मुनाफा मिलता है, इसलिए इन्हें "गरीब की गाय" कहा जाता है।
गाय-भैंस के मुकाबले कम लागत और अधिक मुनाफा के कारण बकरी पालन में पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश और देश में तेजी आई है। यही कारण है कि किसानों ने बकरी पालन की ओर रुख किया है। यही कारण है कि आप बाड़मेर मूल की मारवाड़ी नस्ल की बकरी पालन करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। गाय के नाम से जानी जाने वाली बकरी औसतन चार से पांच लीटर दूध देती है।
काले रंग की मारवाड़ी नस्ल की बकरी गर्म स्थानों पर रहती है। इससे बकरियां एक महीने में ही बढ़ती हैं और औसत दूध और मांस उत्पादन रहता है। इस नस्ल में पहला बच्चा डेढ़ साल की उम्र में पैदा होता है। राजस्थान के पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, नागौर, बीकानेर और जोधपुर में मारवाड़ी बकरी की नस्ल पाई जाती है।
डॉ. रावताराम भाखर ने बताया कि मारवाड़ी नस्ल की बकरी, जिसे गरीब की गाय भी कहते हैं, पशुपालकों को अधिक लाभ मिल सकता है। मारवाड़ी बकरी का रंग काला होता है और माध्यम आकार का होता है। मारवाड़ी बकरी के शरीर पर लंबे बाल हैं। माध्यम आकार के चपटे कान नीचे की ओर लटके रहते हैं। उसने बताया कि मारवाड़ी नस्ल की मादाओं का वजन 25–30 किलो और नरों का वजन 30–35 किलो होता है। गलीचे बनाने में इनके शरीर से प्रति वर्ष 200 से 300 ग्राम बाल निकलते हैं।
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