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देश के इस गांव में मुफ़्त मिलता है दूध, गाय भैंस पालक इस तरह कमाते है मुनाफा

हरियाणा के भिवानी जिले का एक गांव है नाथुवास. इस गांव में कुल 750 घर बस्ते हैं. सभी घर पर 2 से लेकर 7 भैंसे पालते हैं. इसके बावजूद इस गांव का एक भी शख्स दूध की बिक्री नहीं करता है. जरूरत पड़ने दूध मांगने आने वालों को मुफ़्त में दूध दे दिया जाता है.
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Milk is available free in this village of the country, cow and buffalo farmers earn profits in this way

Saral Kisan : हरियाणा के गांव में एक प्रसिद्ध कहावत है "जहां दूध दही का खाना, वो मेरा हरियाणा". हालांकि, आपने ऐसा गांव नहीं देखा होगा जहां दूध और लस्सी फ्री मिलता है। हरियाणा में एक गांव ऐसा है जहां के किसान अपनी गाय-भैंस के दूध की बिक्री करने की बजाय फ्री में देना पसंद करते हैं। फ्री का ये सिलसिला दशकों से जारी है।

भिवानी ज़िले के इस गांव में मिलता है फ्री दूध

हरियाणा के भिवानी जिले में एक गांव है नाथुवास। यह गांव भिवानी से करीब 6 से 7 किलोमीटर दूर है। इस गांव में कुल 750 घर हैं। सभी घर में 2 से लेकर 7 गाय-भैंसे हैं। इसके बावजूद इस गांव का एक भी शख्स दूध नहीं बेचता है। जरूरत पड़ने पर दूध मांगने आने वालों को फ्री में दूध दिया जाता है।

क्यों मिलता है नाथुवास गांव में दूध फ्री

गांव के लोग इसके पीछे दशकों पूरानी परंपरा बताते हैं। वे कहते हैं कि अपने पूर्वजों से सूना है कि क़रीब 150 साल पहले भयंकर बीमारी के चलते पशु मरने लगे थे। इसे देख गांव के लोग परेशान होने लगे थे। इस दौरान गांव के महंत फूलपुरी ने बचे हुए पशुओं को बचाने के लिए एक रास्ता निकाला। तय हुआ कि कोई भी गांव का आदमी कभी दूध नहीं बेचेगा। इसके बाद से कभी गांव में पशुओं के बीच इस तरह की बीमारी नहीं फैली।

कैसे चलता है खर्च

नाथुवास गांव के हर घर में कई कई भैंसे हैं। इनकी क़ीमत लाखों रुपये में है। ऐसे में हर कोई सवाल करता है कि ग्रामीण खर्च वहन कैसे करते हैं। दरअसल इस गांव से कोई भी दूध नहीं बेचता है। हालांकि, दूध से घी बनाकर जरूर बेचा जाता है। इससे पशुपालन के साथ-साथ घर का भी पूरा खर्च निकल जाता है।

दूध बेचने वालों के साथ हुई अनहोनी

गांव में हर तरह के लोग होते हैं। इस ग्रामीणों ने बताया कि जब कभी भी किसी ने ऐसा किया तो उनके साथ अनहोनी हुई। ऐसे लोगों की जान माल की हानि हुई। इसके बाद गांव में दूध ना बेचने की परंपरा दशकों से जारी है।

इस परंपरा के हैं कई फ़ायदे

अब इसे आस्था माने या अंधविश्वास, लेकिन गांव के पशुओं में दशकों से कोई महामारी नहीं आई। ग्रामीणों का कहना है कि ब्याह शादियों में ज़रूरत पर हम लोगों को फ्री में दूध दे देते हैं। दूध की बिक्री नहीं करने के चलते गांव के बच्चों को भी पर्याप्त दूध मिलता है।

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