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मध्य प्रदेश में सरकारी आवासों को लेकर मोहन यादव सरकार सख्त, पहली बार जीपीएस से की जाएगी निगरानी

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार पहली बार सरकारी आवासों के आवंटन को लेकर बड़ा बदलाव करने जा रही है. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को इस फैसले के बाद बड़ी सहूलियत मिलने वाली है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत सरकारी आवासों की कुंडली तैयार की जाएगी.

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मध्य प्रदेश में सरकारी आवासों को लेकर मोहन यादव सरकार सख्त, पहली बार जीपीएस से की जाएगी निगरानी

MP News : प्रदेश में अब सरकारी आवासों की जीपीएस से निगरानी होगी। मध्य प्रदेश सरकार पहली बार इन आवासों की जानकारी सॉफ्टवेयर में एकत्र करने जा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजधानी के करीब 20 हजार आवासों की कुंडली बनाई जा रही है। इसके लिए 25 सब इंजीनियर और पांच एसडीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये सरकारी आवासों में रह रहे हैं। 

समय पर आवास आवंटित किए जा सकें

इस कवायद के पीछे उद्देश्य श्रेणी के हिसाब से आवासों का पूरा ब्योरा एकत्र करना है, ताकि सरकारी अधिकारियों को समय पर आवास आवंटित किए जा सकें और रिटायरमेंट या ट्रांसफर के बाद भी इन आवासों में रहने वाले अधिकारियों से समय पर आवास खाली कराए जा सकें। सिस्टम को ऑनलाइन करने से अधिकारी की वर्तमान पोस्टिंग की जानकारी संपदा को मिल सकेगी। भोपाल में पायलट प्रोजेक्ट को देखने के बाद मध्य प्रदेश के सभी सरकारी आवासों की जानकारी ऑनलाइन की जाएगी। 

तबादले के बाद भी 1725 मकान खाली, अफसरों ने संपत्ति फ्रीज की

सूत्रों के अनुसार, ज्यादातर मामले ऐसे सामने आते हैं, जहां तबादले के बाद भी अफसर आवास खाली नहीं करते। उदाहरण के लिए, भोपाल में फिलहाल करीब 1725 एफ टाइप मकान खाली हैं, लेकिन इनमें से आधे पर रिटायर्ड अफसर या तबादला हो चुके अफसर रह रहे हैं। कागजों में इन्हें खाली बताया जा रहा है। जीपीएस सिस्टम से कनेक्ट होने के बाद ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।

जीपीएस ट्रैकिंग के फायदे, एक. क्लिक पर आवासों की सूची सामने आएगी

1. तबादले के बाद भी कई अफसर आवास खाली नहीं करते। इससे आईएएस अफसरों से लेकर निचले स्तर के अफसरों तक आवास आवंटन को लेकर परेशान हैं। ऑनलाइन सिस्टम से यह स्थिति नहीं बनेगी। ऑनलाइन सिस्टम से स्थिति में सुधार होगा। 

2. अभी सरकारी आवास के लिए अफसर को खुद पता करना पड़ता है कि कौन सा आवास खाली है? इसमें समय लगता है। बाहर से आने वाले अफसर परेशान रहते हैं। आवास की जानकारी एक क्लिक पर मिलने से आवंटन में तेजी आएगी।

 3. सभी मकानों की वास्तविकता संपदा और लोक विभाग के पास रहेगी। अगर आपको पता हो कि कौन सा मकान किस स्थिति में है और उसमें क्या काम होना है तो मरम्मत और रखरखाव आसान होगा और समय पर हो सकेगा।

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