FD या फिर SIP कौंनसा निवेश होगा बेहतर, जान लें कहां मिलेगा अधिक फायदा
Saral Kisan : स्थिर निवेश (FD) एक ऐसा निवेश है जिसमें निवेशक को पहले से पता होता है कि उसे कितने सालों में रकम पर कितना ब्याज मिलेगा और कितनी रकम मिलेगी। वहीं आजकल लोगों को SIP के माध्यम से Mutual Fund में निवेश करना भी बहुत पसंद है। मार्केट लिंक होने के कारण आपको गारंटीड ब्याज नहीं मिलता, लेकिन पिछले कुछ समय से इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं, जिससे निवेशकों ने मोटा पैसा इकट्ठा किया है।
ऐसे में गारंटीड रिटर्न वाली स्कीम्स को पसंद करने वाले निवेशक अक्सर ये सोचकर कन्फ्यूज रहते हैं कि आखिर वो निवेश के लिए दोनों में से किस विकल्प को चुनें. आपके सामने भी ऐसी कोई असमंजस की स्थिति है तो यहां जान लें एफडी और म्यूचुअल फंड से जुड़ी जरूरी बातें, ताकि आप ये समझ सकें कि कहां निवेश करना आपके लिए फायदे का सौदा होगा.
ब्याज के मामले में बेहतर कौन?
एफडी में आप जिस ब्याज दर के साथ अपनी रकम को फिक्स करते हैं, मैच्योरिटी पर आपको उसी ब्याज दर के हिसाब से फायदा मिलता है. एफडी पर आज के समय में ज्यादातर बैंकों में अधिकतम 8 फीसदी तक ब्याज मिल रहा है. जबकि म्यूचुअल फंड मार्केट से लिंक है. बाजार के उतार-चढ़ाव का असर इस पर देखने को मिलता है. लेकिन आप इसमें SIP के जरिए निवेश करते हैं, तो आपको औसतन 12 फीसदी तक ब्याज मिल जाता है, जो एफडी से काफी बेहतर है. ये ब्याज ज्यादा भी हो सकता है.
फ्लेक्सिबिलिटी के मामले में कौन?
फ्लेक्सिबिलिटी के मामले में देखा जाए तो म्यूचुअल फंड को बेहतर माना जाता है. आपको जब भी फंड की जरूरत हो, आप पैसा निकाल सकते हैं. अगर आप लगातार किस्त देने में सक्षम नहीं हैं, तो कुछ समय के लिए इसे Pause भी कर सकते हैं. जबकि एफडी में ऐसा नहीं होता है. एक बार आपने जितने समय के लिए पैसा फिक्स कर दिया, उससे पहले आप पैसा नहीं निकाल सकते. अगर निकाला तो आपको पेनल्टी देनी होती है.
टैक्स फ्रेंडली कौन?
टैक्स के मामले में भी म्यूचुअल फंड एफडी से बेहतर हो सकता है. म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस स्कीम में आप सिर्फ तीन साल की लॉक इन अवधि पर टैक्स छूट पा सकते हैं, लेकिन एफडी में टैक्स बेनिफिट लेने के लिए आपको कम से कम आपको 5 साल के लिए निवेश करना होगा. इसके अलावा म्यूचुअल फंड का एक फायदा ये भी है कि आप इसे छोटी रकम के साथ भी शुरू कर सकते हैं. सिर्फ 500 रुपए से भी एसआईपी शुरू हो जाती है.
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