पिता थे बस कंडक्टर, खुद होटल में मारता था पोछा, मेहनत से आज ₹2000 करोड़ की कंपनी के मालिक
Saral Kisan : कहते हैं, "अगर किसी चीज को आप शिद्दत से चाहो और उसे पाने के लिए दिल से कोशिश करो तो सफलता मिलती ही है।" नहीं तो क्या ये कोई सोच सकता है कि एक बस कंडक्टर का बेटा, जो खुद होटल में पोछा मारने का काम करता हो, कभी करोड़ों की कंपनी संभाल सकता है। फारुक गुलाम पटेल की यह कहानी एक प्रेरणास्पद है, जिसमें हमें उनकी मेहनत और संघर्ष से सिखने को मिलता है। चलिए, देखते हैं कैसे फारुक गुलाम पटेल ने अपने सपनों को पूरा किया और कैसे वे केपी ग्रुप (KP Group) के चेयरमैन और फाउंडर बने।
जीवन की आरंभिक कठिनाइयाँ
फारुक गुलाम पटेल का जन्म 24 मार्च 1972 को गुजरात में हुआ था। उनका बचपन अभावों में बीता और उनके पिता एक बस कंडक्टर थे, जिनकी आमदनी बहुत कम थी। इस मुश्किल समय में, उनका परिवार बड़ा था और सबकी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल था।
फारुक जब बड़े हुए, उन्होंने मुंबई जाने का निर्णय लिया, लेकिन उनके पास वहां कोई नौकरी नहीं थी और न ही कोई पहचान। फिर भी, उन्होंने मेहनत करना शुरू किया और छोटे-मोटे कामों से अपना पेट पाला। वे अपने सपनों की पुर्ति के लिए कई संघर्षों का सामना करने लगे।
शिक्षा और सफलता की ओर
फारुक गुलाम पटेल ने अपनी मेहनत के साथ-साथ पढ़ाई को भी कभी नहीं छोड़ा। वे दिन में काम करते और रात में पढ़ाई करते थे। मुंबई में, उन्होंने इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट ट्रेड की पढ़ाई शुरू की और उन्हें सफलता पाने के लिए शिक्षा की महत्वपूर्णता का आदेश मिल गया।
1990 में, वे मैनमेड टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए गए। इसके बाद, एक रिश्तेदार की मदद से उन्होंने साल 1991 में इंग्लैंड जाने का फैसला किया। शुरुआत में, वहां काफी मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के साथ उन्हें पार किया। उन्होंने एक कैफे में काम करना शुरू किया और वहां वेटर से लेकर क्लिनर तक का काम किया।
उद्यमिता की शुरुआत
साल 1993 में, फारुक गुलाम पटेल ने भारत लौटने का निर्णय लिया और वहां से एक कार्टिंग कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने अपनी मेहनत और 1 लाख रुपये की पूंजी के साथ केपी ग्रुप की नींव रखी।
व्यापार में सफलता
फारुक गुलाम पटेल ने अपने भविष्य को अच्छी तरह से भांप लिया और उन्होंने केपी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। साल 2001 में, उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में भी काम करना शुरू किया और 16 शहरों में अपना कार्य बढ़ाया।
उन्होंने देखा कि टेलीकम्यूनिकेशन, संचार का युग आने वाला है, और इसके बाद उन्होंने रिन्युबल एनर्जी के क्षेत्र में अपने पैर जमाए। साल 2008 में, उन्होंने केपीआई ग्रीन एनर्जी (KP Green Energy) की शुरुआत की और साल 2010 में, वे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में भाग लेने लगे। उनकी कंपनी अब 2000 करोड़ रुपये की हो चुकी है और उनका पोर्टफोलियो विस्तारण कर चुका है। वे 1500 एकड़ से अधिक भूमि के मालिक हैं, जिससे वे गुजरात के सबसे बड़े निजी कंपनियों में से एक हैं।
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