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गन्ने की खेती छोड़ किसान लेमन ग्रास से बना रहे मोटा मुनाफा, एक बार लगाकर 5 साल भूल जाओ

न फिटकरी लगे न हींग, और रंग चोखा ही चोखा..। मुजफ्फरनगर के खतौली के छोटे से गांव बडसू, सिंकदपुर कला के किसान शिवकुमार के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। Shivakumar ने तीन साल से लेमन ग्रास खेती कर लाखों रुपये कमाए हैं।
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Farmers leaving sugarcane farming and making huge profits from lemon grass, plant it once and forget for 5 years.

Saral Kisan : न फिटकरी लगे न हींग, और रंग चोखा ही चोखा..। मुजफ्फरनगर के खतौली के छोटे से गांव बडसू, सिंकदपुर कला के किसान शिवकुमार के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। Shivakumar ने तीन साल से लेमन ग्रास खेती कर लाखों रुपये कमाए हैं। उन्होंने जिले में औषधीय लेमन ग्रास की खेती की है, जो पारंपरिक गन्ने की खेती से अलग है। वह गन्ने की खेती से काफी ज्यादा मुना ले रहे हैं। लैमन ग्रास की पौध को लगाने के चार से पांच साल तक बोने की जरूरत नहीं होती।

इस खेती को एक एकड़ में या

शिवकुमार खतौली के बडसू सिंकदपुर कला गांव में 22 बीघा जमीन है। Shivkumar ने बताया कि वह गन्ने की फसल बो रहे थे। तीन वर्ष पहले, उनके रिश्तेदार एसडीएम अशोक कुमार सैनी घर पहुंचे। उनका कहना था कि लेमन ग्रास एक औषधीय खेती है। तीन वर्ष पहले शिव ने एक एकड़ जमीन पर खेती की शुरुआत की। इसके लिए पहले खेत को गोबर से तैयार किया गया था। एक एकड़ में 20 से 22 हजार ग्रास की पौध लगी। प्रति पौध ₹1 मिलता है। कुल मिलाकर, एक एकड़ में 40 हजार रुपये की लागत आई। उसने तब से वही बोई गई फसल काटी है। अब वह अपनी बीस बीघा जमीन पर लैमन ग्रास की खेती कर रहे हैं, जो उसे लाभ देता है।

साल में प्रति एकड़ दो लाख रुपये की कमाई

Shiv Kumar ने कहा कि गन्ने की फसल इतनी बचत नहीं देती है। गन्ने की फसल की लागत भी हर साल बहुत अधिक होती है। लैमन ग्रास में वर्ष की शुरुआत में लगभग 40 हजार रुपये खर्च होते हैं, जो अच्छी बचत नहीं होती। इसके बाद पांच साल तक फसल बोने की जरूरत नहीं होती। ढाई से तीन महीने में एक फसल तैयार हो जाती है। इस प्रकार एक वर्ष में चार फसल कटती हैं। लैमन ग्रास की उपज से प्रति एकड 170-180 kg ऑयल निकलता है। जिसकी औसत बाजार कीमत 1300 रुपये प्रति किलोग्राम है।

महिलाओं ने भी खेती शुरू की  

शिव कुमार की देखा देखी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने भी महिला स्वयं सहायता समूह को इस औषधीय खेती से जोड़ने का प्रयास किया है। शिव कुमार के गांव बडसू सिंकदरपुर कला में तीन महिलाओं ने लैमन ग्रास की खेती की शुरुआत की है, प्रत्येक एक एकड़ में।

लैमन ग्रास का इस्तेमाल   

लैमन ग्रास का उपयोग हैंडवाश, सेनीटाइजर, रुम फ्रेशनर और लैमन टी बनाने में किया जाता है।

अपना उत्पाद बनाते हुए शिवकुमार

Shiva Kumar भी लैमन ग्रास से ऑयल निकालने का प्लांट लगाया है। वह अपने ऑयल से विभिन्न सेनीटाइजर और रुम फ्रेशनर बना रहे हैं।

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