उत्तर प्रदेश में मक्के से बनेगा एथेनॉल, राज्य में कंपनियां बढ़ाने की तैयारी
Ethanol From Corn :उत्तर प्रदेश में गन्ने तथा मक्के की पैदावार कॉफी मात्रा में होती है। यूपी में अब गन्ने की बजाय मक्के से एथेनॉल बनाने की परियोजना बनाई जा रही है। फिलहाल प्रदेश में 15 कंपनियां इथेनॉल बनाने का काम करती है जिनकी संख्या बढ़ाने का प्लान बनाया जा रहा है।
Cultivation Of Corn : उत्तर प्रदेश में गाने तथा मक्के की खेती काफी संख्या में की जाती है। अब प्रदेश में गन्ने की बजाय मक्के से एथेनॉल बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसके अंतर्गत कृषि विभाग तथा चीनी मिल संचालकों के बीच दौरा करने की बातचीत हो गई है। सभी चीनी मिल के क्षेत्र में मक्के का रकबा चिन्हित किया जाएगा। इसे 4 साल के अंदर 2 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। मक्का विकास से जुड़े उपकरणों को सब्सिडी पर उपलब्ध करवाया जाएगा। फिलहाल उत्तर प्रदेश में करीबन 15 कंपनियां इथेनॉल बनाने का काम कर रही है। इनकी संख्या बढ़ाने का प्लान बनाया जा रहा है
अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई होती है और उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन है। रकबा दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने और उत्पादन करीब 11 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त करने की तैयारी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि नामक परियोजना शुरू की है। इसे भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) संचालित कर रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित 15 राज्य चुने गए हैं।
किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा
अभी प्रदेश में करीब 15 कंपनियां एथेनॉल बनाती है। इनकी संख्या भी बढाने की तैयारी है। एथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को सहकारी एजेंसियों से तय दर पर मक्के की आपूर्ति मिलेगी। इससे जहां एथेनॉल का उत्पादन बढ़ेगा, दूसरी तरफ किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी मिल सकेगा। चीनी उत्पादन में कमी नहीं आएगी क्योंकि गन्ने से ही अभी तक एथेनॉल और चीनी दोनों बनाई जा रही है।
सब्सिडी पर मिलेगें उपकरण
संयुक्त निदेशक आरके सिंह ने बताया कि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। मक्के में नमी करीब 28 से 30 फीसदी होती है। ऐसे में कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादन संगठन सिर्फ तीन लाख लगाकर इसे खरीद सकेगा। इसी तरह पॉपकार्न की मशीन पर 10 हजार का अनुदान है। अन्य उपकरणों पर भी किसान और किसान उत्पादन संगठनों को अनुदान की व्यवस्था की गई है। किसानों को मक्का अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्हें संकर बीज दिलाया जाएगा और तकनीक से वाकिफ कराया जाएगा।