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Electric Highway : यह होगा भारत का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे, जाने क्या-क्या होगा खास

स्वीडन ने 2018 में दुनिया की पहली विद्युतीकृत सड़क की शुरुआत की है, जो उस पर चलने वाली कारों और ट्रकों की बैटरी को रिचार्ज करती है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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Electric Highway: This will be India's first electric highway, know what will be special

Saral Kisan : देश में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए देश की सरकार लगातार प्रयासरत है जिसको देखते हुए सरकार दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना पर काम कर रही है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 11 जुलाई को हाइड्रोलिक ट्रेलर ओनर्स एसोसिएशन (एचटीओए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में में ट्रॉलीबस और भारी वाहन मालिक ई-हाईवे पर अपनी ट्रॉली ट्रक चला सकेंगे. गडकरी ने एक इंटरव्यू के दौरान मीडिया को बताया था कि देश में बनने वाला पहला इलेक्ट्रिक हाईवे स्वीडन के इलेक्ट्रिक हाईवे जैसा होगा.

ई-हाईवे क्या है

ई-हाईवे एक ऐसा विकल्प है जहां सड़क चलती वाहनों को अधिकतर ओवरहेड बिजली लाइनों के माध्यम से बिजली प्रदान करती है. साल 2012 में, इंजीनियरिंग के दिग्गज ब्रांड 'सीमेंस' ने लॉस एंजिल्स में इलेक्ट्रिक वाहन के लिए आयोजित एक बैठक में ई-हाईवे अवधारणा की घोषणा की थी. यह हाईवे एक ऐसी सड़क को कहते हैं जिस पर यात्रा करने वाले वाहनों को पूरे सफर के दौरान बिजली की आपूर्ति की जाती है. यह सुविधा ओवरहेड बिजली लाइनों का उपयोग करके या सड़क पर ही पूर्व-कट खांचे में स्थापित बिजली लाइनों का उपयोग करके दी जाती है.

भारत में क्या है स्थिति

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ समय पहले यह ऐलान किया था कि सरकार ने देश के पहले ई-हाईवे के तौर पर 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को चुना है. इस ई-हाईवे पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रकों और बसों को चलाया जाएगा. बिजनेस न्यूज वेबसाइट मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए एक अलग लेन होने की संभावना है. प्रस्तावित परियोजना सीमेंस की तर्ज पर होने की संभावना है. हालांकि, ये योजनाएं अभी शुरुआती चरण में है.

क्या कहते हैं गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान इस साल मार्च में कहा था कि ई-हाईवे का निर्माण उनके लिए एक 'ड्रीम प्रोजेक्ट' रहा है. उन्होंने कहा था कि "मेरा सपना दिल्ली और जयपुर के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाना है. यह अब भी एक प्रस्तावित परियोजना है. हम एक विदेशी कंपनी के साथ बातचीत कर रहे हैं."

इसी महीने हुए एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक हाईवे विकसित करने पर काम कर रही है, जो भारी वाहनों जैसे ट्रकों और बसों को भी चार्ज करने की सुविधा प्रदान करेगा.

इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (IACC) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, गडकरी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि "सरकार विद्युत गतिशीलता के लिए सौर और पवन ऊर्जा आधारित चार्जिंग तंत्र को दृढ़ता से प्रोत्साहित कर रही है." सरकार बिजली पर भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित करना चाहती है.

कैसा होगा ई-हाईवे

इस साल जुलाई में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि सड़क परिवहन मंत्रालय दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में एक अलग इलेक्ट्रिक हाईवे लेन शामिल होगी.

यह सड़क रोड की सतह के नीचे दबे विद्युत केबल और विद्युत चुम्बकीय ट्रांसमीटरों की एक श्रृंखला होगी. इसमें मौजूद विद्युत ऊर्जा को वाहन के अंदर लगे एक कॉइल द्वारा उठाया जाता है, जिससे वोल्टेज उत्पन्न होता है और इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है, जो गाड़ी की रेंज को आसानी से बढ़ा सकते हैं.

ट्रक भी चलाने की है योजना

नितिन गडकरी ने हाइड्रोलिक ट्रेलर ओनर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि  “हमारी योजना दिल्ली से मुंबई तक एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की है. इस पर ट्रॉलीबस की तरह एक ट्रॉली ट्रक को चलाया जा सकेगा.” ट्रॉलीबस एक इलेक्ट्रिक बस है जो कोलकाता के ट्राम की तरह ओवरहेड तारों से बिजली खींचती है.

क्या हैं इसके फायदे?

एक मीडिया वेबसाइट के अनुसार, इलेक्ट्रिक हाईवे, सही उपकरण से लैस किसी भी वाहन में पावर ट्रांसफर संभावित रूप से ऊर्जा के स्रोत की तरह लिए काम कर सकता है और यहां सभी इलेक्ट्रिक केबल सड़क के नीचे दबे होने के साथ, टक्कर या बिजली के किसी झटके का कोई खतरा नहीं होता है. 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सरकार एक अलग "ई-हाईवे" बनाने का काम कर रही है, जहां ट्रक और बस 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे.

कितना होगा खर्चा?

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, सरकार इलेक्ट्रिक हाईवे पर लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसे सरकार भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए एक बड़ा बढ़ावा मानती है.

अन्य देशों में है उदाहरण

स्वीडन ने 2018 में दुनिया की पहली विद्युतीकृत सड़क की शुरुआत की है, जो उस पर चलने वाली कारों और ट्रकों की बैटरी को रिचार्ज करती है.
जर्मनी ने 2019 में चलते-फिरते हाइब्रिड ट्रकों को रिचार्ज करने के लिए अपने मोटरवे सिस्टम पर पहले इलेक्ट्रिक हाईवे का निर्माण किया था. यह सीमेंस द्वारा बनाया गया था जो फ्रैंकफर्ट के दक्षिण में छह मील लंबा है.

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