क्या आपको पता हैं छोटे रनवे पर कैसे टेकऑफ कर जाता हैं लड़ाकू विमान? जाने
लड़ाकू विमान आम यात्री विमान की तुलना में बहुत छोटे और काफी हल्के होते हैं। लड़ाकू विमानों को भी लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी पड़ती, जैसे कि यात्री विमानों को। ये फाइटर प्लेन टारगेट के काफी करीब पहुंचकर उड़ान भरते हैं।
Saral Kisan - लड़ाकू विमान आम यात्री विमान की तुलना में बहुत छोटे और काफी हल्के होते हैं। लड़ाकू विमानों को भी लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी पड़ती, जैसे कि यात्री विमानों को। ये फाइटर प्लेन टारगेट के काफी करीब पहुंचकर उड़ान भरते हैं। प्लेन को अक्सर जहाज पर लादकर बीच समंदर में ले जाया जाता है, जहां से वह टेकऑफ करता है। विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार किए गए इन फाइटर प्लेन की टेक-ऑफ और लैंडिंग भी काम चलाऊ सिस्टम से की जाती है, जिससे वे किसी भी परिस्थिति में अपना काम कर सकें।
लड़ाकू विमान इस खेल की तकनीक का उपयोग करते हैं
जब टेकऑफ के लिए पायलट प्लेन की इंजन स्टार्ट करता है, तो उसी वक्त स्टीम के प्रेशर से पिस्टन भी प्लेन के साथ आगे बढ़ता है. लेकिन जैसे ही रनवे की छोर तक प्लेन बढ़ता है, पिस्टन रुक जाता है और उसके प्रेशर से जहाज को बल मिलता है जिससे झटके भर में गुलेल में भरे पत्थर की तरह प्लेन हवा में उड़ान भर लेता है. लड़ाकू विमान जहाज पर बने छोटे रनवे से उड़ान भरते हैं (Catapulting Aircraft Take-off) और लैंडिंग (Arrested Landing) करते हैं, जिस तरह हम बचपन में गुलेल की मदद से दूर तक निशान साधकर पेड़ से फल तोड़ते थे।
रनवे पर एक डेक है, जहां प्लेन टेक-ऑफ से पहले खड़े होते हैं। डेक पर पिस्टन लगे हैं। ये कई सिलिंडर वाले पिस्टन स्टॉपर की तरह काम करते हैं। स्टीम से पिस्टन के सिलिंडर में प्रेशर बनाया जाता है। विमान उड़ान भरने के लिए तैयार होता है जब सभी सिलिंडर में प्रेशर पूरी तरह भर जाता है। हालांकि, वॉर शिप (Battle Carrier) के रनवे से प्लेन के टेक-ऑफ की प्रक्रिया जितनी आसान पढ़ने में लग रही है, उतनी असलियत में नहीं होती. प्लेन के पायलट से लेकर डेक के स्टाफ को काफी अलर्ट रहकर इस काम को अंजाम देना होता है वर्ना बड़ी दुर्घटना हो सकती है.