इस 8-लेन एलिवेटेड रोड़ से दिल्ली का Traffic होगा कंट्रोल, ये रहेगा खास
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में द्वारका एक्सप्रेसवे की निर्माण लागत संभावना से 'बहुत अधिक' रहने के दावे को सड़क परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने अनुचित बताते हुए बताया है कि सरकार ने इसकी निर्माण लागत में 12 प्रतिशत की बचत मिली है.
New Delhi: द्वारका एक्सप्रेसवे का डिजाइन इस तरह बना हुआ है तो इससे दिल्ली में ट्रैफिक का भार काफी कम होने वाला है. यह सिंगल पियर पर देश की पहली 8-लेन एलिवेटेड रोड है.सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली और हरियाणा के बीच भूमि अधिग्रहण और समन्वय मुद्दों के कारण द्वारका एक्सप्रेसवे का विकास पिछले 20 वर्षों से रुका हुआ था.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में द्वारका एक्सप्रेसवे की निर्माण लागत संभावना से 'बहुत अधिक' रहने के दावे को सड़क परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने अनुचित बताते हुए बताया है कि सरकार ने इसकी निर्माण लागत में 12 प्रतिशत की बचत मिली है.
द्वारका एक्सप्रेसवे भारत माला के राष्ट्रीय गलियारे दक्षता में सुधार ( National Corridors Efficiency Improvement) में शामिल है. नेशनल कॉरिडोर की कुल सिविल कॉस्ट 5,000 किलोमीटर के लिए 91,000 करोड़ है. CAG के आकलन में यह स्पष्ट रूप से उजागर किया गया है कि फ्लाईओवर और रिंग रोड की लागत केवल डीपीआर के माध्यम से स्थापित किया जा सकता है,
हालाँकि, CAG ने परियोजना की प्रकृति को नज़रअंदाज़ करते हुए गलती से Civil Cost की औसत लागत 18.2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की गणना की है. वास्तविक तथ्य: द्वारका एक्सप्रेसवे के सभी 4 पैकेजों के लिए निविदा में रखी गई औसत Civil Cost 206.4 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है. और वास्तविक Civil Cost 182 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है.
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पूरी टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी थी और प्रत्येक पैकेज में कई बोली लगाने वालों ने भाग लिया। प्रति पैकेज, 4 से 12 ठेकेदारों ने इन टेंडरों में भाग लिया. किसी भी परियोजना की Civil-Cost परियोजना में शामिल संरचनाएं और डिज़ाइन (Structures & Design Features) के आधार पर निर्धारित की जाती है.
परियोजना की विशेषताएं:- सिंगल पियर पर देश की पहली 8-लेन एलिवेटेड रोड, भारत का पहला 4-स्तरीय इंटरचेंज (2 संख्या), अनेक 3-स्तरीय इंटरचेंज, 3.6 किलोमीटर लंबी 8-लेन सुरंग, हवाई-अड्डे से जुड़ने के लिए 2.4 किलोमीटर की 6-लेन सुरंग, प्रमुख इंटरचेंजों पर एलिवेटेड सर्विस रोड, अतिरिक्त 6-लेन सर्विस रोड.
यह परियोजना दिल्ली में भीड़भाड़ कम करने की बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसमें EPE, DME और सोहना रोड पहले ही पूरे हो चुके हैं और UER-II, अक्षरधाम से EPE और सोहना तक DND इंटरचेंज पर काम निर्माण के उन्नत चरणों में है.
इस निर्णय पर स्थायी लागत समिति, परियोजना मूल्यांकन समिति और एनएचएआई के बोर्ड के स्तर पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया, जिसमें अन्य विभागों के वरिष्ठतम अधिकारी शामिल हैं. साल 2014 तक अधिकांश बुनियादी ढांचा परियोजनाएं टुकड़ों में बंटी हुई थीं और भविष्य की दीर्घकालिक आवश्यकताओं को ध्यान में नहीं रखती थीं.
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