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Criminal Law Changes : अब हार्डकोर आरोपियों को हथकड़ी लगा सकेगी पुलिस, कोर्ट से मंजूरी की जरूरत नहीं

Criminal Law Changes : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 43 में प्रावधान है कि पुलिस गंभीर मामलों में आरोपियों को हथकड़ी लगा सकती है। किस आरोपी को हथकड़ी लगानी है और किसे नहीं? यह पुलिस के विवेक पर निर्भर करता है। पुराने कानून में हथकड़ी सिर्फ उन्हीं आरोपियों को लगाई जाती थी जिनकी कोर्ट से इजाजत मिल जाती थी।

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Criminal Law Changes : अब हार्डकोर आरोपियों को हथकड़ी लगा सकेगी पुलिस, कोर्ट से मंजूरी की जरूरत नहीं 

New criminal laws : 1 जुलाई से लागू हुए नए कानून के तहत अब पुलिस गंभीर मामलों में आरोपियों को सीधे हथकड़ी लगा सकेगी। अभी तक किसी अपराधी को हथकड़ी लगाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती थी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 43 में प्रावधान है कि पुलिस गंभीर मामलों में आरोपियों को हथकड़ी लगा सकती है। किस आरोपी को हथकड़ी लगानी है और किसे नहीं? यह पुलिस के विवेक पर निर्भर करता है। पुराने कानून में हथकड़ी सिर्फ उन्हीं आरोपियों को लगाई जाती थी जिनकी कोर्ट से इजाजत मिल जाती थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 44 साल पहले दिए थे दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने प्रेमशंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन (29 अप्रैल 1980) में दिशा-निर्देश दिए थे कि जो आदतन अपराधी नहीं है, वह हार्डकोर अपराधी नहीं है। उसे हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती। सिर्फ हार्डकोर अपराधियों को ही इजाजत लेकर हथकड़ी लगाई जा सकती है।  अधिवक्ता अशोक चौधरी ने कहा कि पुलिस को हथकड़ी लगाने का अधिकार देना सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का सीधा उल्लंघन है। झूठे आरोप लगाकर कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है। नए कानून से आरोपी को तुरंत हथकड़ी लगाई जा सकेगी।

कोर्ट की गाइडलाइन और नए प्रावधान में विरोधाभास

एडवोकेट काउंसिल के अध्यक्ष मनोज पुरी का कहना है कि संसद ने नए कानून लागू किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में लिखा है कि पुलिस बिना अनुमति के किसी दोषी को हथकड़ी नहीं लगा सकती। इसके उलट नए कानून में कहा गया है कि पुलिस बिना कोर्ट की अनुमति के अपने विवेक से अपराधी को हथकड़ी लगा सकती है। यह एक तरह से विरोधाभास है।

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