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भारत-चीन सीमा पर मजबूत सड़क का कार्य शुरू, 1200 मीट्रिक टन लोहे के कचरे से बनाई जा रही यह सड़क, इसे देख चीन भी हैरान

स्टील स्लैग सड़क का निर्माण भारतीय सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में किया जा रहा है। यह सड़क लोहे के कचरे से बनाई जाती है, जो स्टील उत्पादन के दौरान निकलते हैं
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Work on strong road starts on India-China border, this road is being built from 1200 metric tons of iron waste, even China is surprised to see this

Saral Kisan- स्टील स्लैग सड़क का निर्माण भारतीय सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में किया जा रहा है। यह सड़क लोहे के कचरे से बनाई जाती है, जो स्टील उत्पादन के दौरान निकलते हैं। इस नवीनतम सड़क तकनीक के द्वारा स्टील स्लैग का उपयोग करके मजबूत और टिकाऊ सड़कें निर्मित की जा रही हैं। स्टील स्लैग सड़क का निर्माण करने से दो मुख्य फायदे हैं। पहले तो यह सड़कें पारंपरिक पक्की सड़कों की तुलना में सस्ती होती हैं, और दूसरे, ये सड़कें बहुत अधिक टिकाऊ होती हैं। स्टील स्लैग का उपयोग करने से स्लैग की समस्या का समाधान भी होता है, जो स्टील प्लांट्स में उत्पन्न होता है।

पहला स्टील स्लैग सड़क बनाने वाला शहर गुजरात के सूरत था, और अब अरुणाचल प्रदेश भी इस तकनीक का उपयोग करके अधिक मजबूत और टिकाऊ सड़कें निर्माण कर रहा है। भारतीय रेलवे द्वारा स्टील स्लैग की आपूर्ति की जा रही है, और इसमें टाटा स्टील द्वारा निःशुल्क योगदान भी हुआ है। स्टील स्लैग बिटुमिनस सरफेसिंग के कारण इन सड़कों की अधिक टिकाऊता बढ़ जाती है, जो कठोर मौसम की स्थितियों में भी उन्नति प्रदान करती है।

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इस प्रकार की नवीनतम सड़क तकनीक का उपयोग करके भारत ने आपूर्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है। स्टील स्लैग सड़कें दोहरी महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करती हैं - एक तो ये अधिक टिकाऊ हैं और दूसरा, इससे स्टील उद्योग में उत्पन्न होने वाले कचरे का उपयोग किया जा सकता है और इससे एक पर्यावरणीय और धातु अपशिष्ट मुक्त साधारित होती है।

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