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Chhattisgarh High Court : अब पत्नी को बिना बताये उसकी कॉल रिकॉर्ड करना है एक अपराध

Chhattisgarh High Court ने एक पति को तगड़ा झटका दे दिया है, कोर्ट ने बताया की अगर कोई पति , पत्नी की जानकारी के बिना कॉल रिकॉर्ड करता है तो इसे अपराध माना जायेगा।  कोर्ट ने क्यों कही ये बात, आइये जानते हैं 

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Chhattisgarh High Court: Now recording calls from wife without informing her is a crime.

New Delhi : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना 'निजता के अधिकार' का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के एक मामले में महासमुंद की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें साक्ष्य के रूप में मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।

वकील वैभव ए. गोवर्धन ने शनिवार को बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके 'निजता के अधिकार' का उल्लंघन है।

वकील गोवर्धन ने बताया कि याचिकाकर्ता (पत्नी) द्वारा गुजारा भत्ता देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत आवेदन दायर किया गया था, जो 2019 से महासमुंद की फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित है।

वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता महिला ने इससे संबंधित साक्ष्य अदालत में पेश किए थे। वहीं, दूसरी तरफ महिला के पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह के आधार पर गुजारा भत्ता देने से मना किया था। उसने फैमिली कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया और कहा कि याचिकाकर्ता की बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई है। पति उक्त बातचीत के आधार पर अदालत के समक्ष उससे जिरह करना चाहता है। अदालत ने उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया और अनुमति दे दी।

वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता ने 21 अक्टूबर 2021 के फैमिली कोर्ट के उक्त आदेश से दुखी होकर हाईकोर्ट का रुख किया और इसे रद्द करने की प्रार्थना की। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यह उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि निचली अदालत ने आवेदन की अनुमति देकर कानूनी त्रुटि की है। यह आदेश याचिकाकर्ता की निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना प्रतिवादी (पति) द्वारा बातचीत रिकॉर्ड की गई थी, इसलिए इसका उपयोग उसके खिलाफ नहीं किया जा सकता।

गोवर्धन ने बताया कि प्रतिवादी के वकील ने कहा कि पति अपनी पत्नी के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करना चाहता है, इसलिए उसे मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई बातचीत को प्रस्तुत करने का अधिकार है।

उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट में जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बेंच ने मामले में 5 अक्टूबर 2023 को सुनवाई के बाद महासमुंद फैमिली कोर्ट द्वारा पारित 21 अक्टूबर 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने माना है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके 'निजता के अधिकार' का उल्लंघन है। 

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