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Cheapest City : भारत के इन 5 शहरों में मिल जाएगा सस्ता घर, किफायती आवास के रूप में उभरे

हाल ही में आए एक अपडेट के अनुसार, भारत के पांच ऐसे शहरों के बारे में बताया गया है जहां पर आपको सबसे सस्ता घर मिल जाएगा. इसमें मुंबई एकमात्र ऐसा शहर है जो 50% की स्ट्रेंथ रेस्यो से परे है.
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Cheapest City : भारत के इन 5 शहरों में मिल जाएगा सस्ता घर, किफायती आवास के रूप में उभरे

Cheapest city in India : देश में सबसे सस्ते शहरों के बारे में पता लगाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें से नाइट फ्रैंक इंडिया ऑफ अफॉर्डेबिलिटी इंडेक्स एक ऐसा बेंचमार्क है जो यह दर्शाता है कि कौन सा शहर किफायती है और कौन सा शहर महंगा है. अफॉर्डेबिलिटी इंडेक्स के मुताबिक, गुजरात का अहमदाबाद शहर साल 2023 में ऐसे शहरों के रूप में उभरा जो घरों के लिए प्रॉपर्टी लेने में सबसे किफायती है.

कौन सा शहर किफायती

अहमदाबाद शहर स्ट्रैंथ रेस्यो 21% बना हुआ है. जिसका मतलब यह है कि अहमदाबाद में एक परिवार को समान भुगतान करने के लिए अपनी घरेलू आमदनी का 21% खर्च करने की जरूरत है. कोलकाता के अनुपात स्तर में 2022 से 1% और 2019 के कोरोना महामारी साल से 8% सुधार दर्ज हुआ. साल 2023 में 24% के साथ पुणे व कोलकाता दूसरे स्थान पर रहे. 

बीते वर्ष 2024 हाई होम लोन इंटरेस्ट के बावजूद स्ट्रैंथ रेस्यो 2023 में अच्छा सकारात्मक रुझान देखने को मिला. आंकड़ों की माने तो पिछले साल के मुकाबले मामूली सुधार रहा, साल 2019 कोरोना महामारी साल के बाद से घर की सामर्थ्य में भी अच्छा सुधार देखने को मिला.

कौन सा शहर महंगा व कौनसा सस्ता

सपनों का शहर मुंबई एकमात्र ऐसा शहर है जो 50% की स्ट्रेंथ रेस्यो से परे है. इस स्तर के ज्यादा हो जाने पर बैंक शायद ही किसी बंधक को अंडरराइट करते हैं. मुंबई देश में आवासीय बाजार के मामले में सबसे महंगा है. मुंबई के स्ट्रैंथ रेस्यो में दो प्रतिशत का सुधार देखा गया है. जो साल 2022 से 53% से बढ़कर वर्ष 2023 में 51% हुआ है.

नाइट फ्रैंक इंडिया द्वारा अफॉर्डेबिलिटी इंडेक्स उसे आमदनी के अनुपात को दर्शाता है. जो एक परिवार को किसी विशेष शहर में हाउसिंग यूनिट के EMI को फंड देने के लिए आवश्यक होती है. इस तरीके से एक शहर के लिए 40% का स्ट्रैंथ रेस्यो का स्तर बताता है कि औसतन उसे शहर के परिवारों को घर खरीदने के लिए अपनी कमाई का 40% हिस्सा EMI के रूप में देना होगा. वही 50% से ज्यादा किस स्ट्रैंथ रेशों को मापा नहीं जाता क्योंकि यह वह सीमा है जिसके आगे बैंक शायद किसी बंधक को अंडरराइट करते हो.

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