Calcutta High Court: दूसरी शादी के बाद भी पहली पत्नी का रखना पड़ेगा ध्यान
New Delhi : कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि एक रिश्ते में सालों गुजारने वाली महिला का अधिकार है कि पति उसकी देखभाल करे। दरअसल, सोमवार को पत्नी के भरण-पोषण और गुजारा भत्ते से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय के भत्ता घटाने के आदेश में भी संशोधन कर दिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी करने वाला पुरुष अपनी पहली पत्नी की देखभाल के लिए बाध्य है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस मानते हुए जज ने कहा, 'एक पुरुष जो (पर्सनल लॉ के तहत) दूसरी बार शादी करता है, उसे 9 सालों तक साथ रही पहली पत्नी की देखभाल करनी ही होगी।' याचिकाकर्ता (पहली पत्नी) ने पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए याचिका दाखिल की थी।
साथ ही याचिका पर सुनवाई कर रहीं जस्टिस शंपा दत्त (पॉल) ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय के आदेश को भी खारिज कर दिया। दरअसल, पुराने आदेश में गुजारे की रकम को 6000 रुपये से घटाकर 4000 रुपये करने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता पत्नी के अनुसार, उसकी शादी मुस्लिम रीति रिवाजों से 2003 में हुई थी। उन्होंने आरोप लगाए कि शादी के कुछ समय बाद दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा और 2012 में उसे घर से निकाल दिया गया।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि एक रिश्ते को 9 साल देने वाली महिला पति की तरफ से देखभाल किए जाने की हकदार है। उन्होंने कहा कि जब तक पत्नी को जरूरत है, तब तक पति को उसकी देखभाल करनी चाहिए।
लंबा चला संघर्ष
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बाद में पति ने दूसरी शादी कर ली थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि घर से निकाले जाने के दौरान उसके पास कोई काम या घर नहीं था। साथ ही तब गुजारा भी नहीं दिया गया था। साल 2016 में मालदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पति को 6 हजार रुपये महीने देने के निर्देश दिए थे। इसपर पति ने साल 2019 में अपील दायर की और सत्र न्यायालय ने रकम को घटाकर 4000 रुपये कर दिया। कहा गया है कि पति की आय पर्याप्त नहीं होने के चलते संशोधन किया गया था।