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गोरखपुर में जमीन खरीदना होगा महंगा, बढ़ सकतें हैं सर्किल रेट, अंतिम चरण में सर्वे

UP News : उत्तर प्रदेश के इस जिले में निबंधन विभाग के फैसले के बाद मुनाफे के साथ किसी को घाटा भी होने वाला है। जिले में सर्किल रेट में बदलाव की बड़ी तैयारी हो रही है। इसी के चलते यहां जमीन मकान खरीदने वालों के लिए झटका और बेचने वाला के लिए मुनाफे का सौदा होगा। 

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गोरखपुर में जमीन खरीदना होगा महंगा, बढ़ सकतें हैं सर्किल रेट, अंतिम चरण में सर्वे

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 8 साल के बाद सर्किल रेट बढ़ाने की बड़ी तैयारी चल रही है। गोरखपुर में सर्किल रेट बढ़ने के बाद जमीन मकान बेचने वालों को फायदे का सौदा साबित होगा इसके अलावा खरीदने वालों के लिए यह घाटे का सौदा साबित होने वाला है। सरकारी योजनाओं के लिए जो भी जमीन अधिग्रहण की जाएगी उसका बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाएगा। 

जमीन की खरीद बिक्री में बढ़ोतरी होगी 

जिले में सर्किल रेट में बदलाव होने की वजह से जमीन की खरीद बिक्री में बढ़ोतरी होने वाली है। इसके साथ-साथ विभाग की भी आय में बढ़ोतरी होने वाली है। प्रशासन को यदि जमीन अधिग्रहण का मुआवजा अधिक देना पड़ेगा तो दूसरी ओर जमीन का सर्किट रेट में बदलाव होने के कारण स्टॉप ड्यूटी में भी बढ़ोतरी होगी.

8 साल बाद निबंधन विभाग की तरफ से सर्किल रेट में बदलाव

गोरखपुर में 8 साल बाद निबंधन विभाग की तरफ से सर्किल रेट में बदलाव की बड़ी तैयारी चल रही है. विभाग की तरफ से सर्वे का अंतिम चरण चल रहा है। सर्वे का काम पूरा हो जाने के बाद आपत्ति मांगी जाएगी। संभावना यह जताई जा रही है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह तक आपत्तियों का हल निकालकर जिले में नए सर्किल रेट लागू कर दिया जाएगा. इसके अलावा जिला प्रशासन का यह मानना है कि प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद ही नई रेट लिस्ट जारी की जानी है. इसके अलावा मंडल के कई अन्य जिलों देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज मैं भी 15 अगस्त के बाद  नया सर्किट रेट लागू करने की तैयारी चल रही है.

पांच से दस प्रतिशत की वृद्धि 

निबंधन विभाग ने बताया कि मंडल में पांच से दस प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। सर्वे पूरा होने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गोरखपुर में 2016 से सर्किल रेट का पुनरीक्षण नहीं हुआ है, सहायक महानिरीक्षक निबंधन संजय कुमार दुबे ने बताया। तब से जिले में इन आठ सालों में बहुत बदलाव हुआ है।

उनका कहना था कि सभी तहसीलों में सर्वे होगा। गाटा नंबरों की सूची भी बनाई जा रही है, साथ ही बाजार और सर्किल दरों में अंतर भी। 2016 में कई नई सड़कें बनाई गईं और कई चौड़ी हुईं। ऐसे में सड़कों के किनारे चलने वाले गाटा नंबरों की एक अलग सूची बनाई जा रही है। वर्तमान और पुरानी बाजार दरों को मिलाया जा रहा है। बहुत से नए व्यावसायिक क्षेत्र बन गए हैं। इस तरह अध्ययन पूरा किया जा रहा है।
 

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