Buying Home vs Rent : खुद का घर खरीदें या फिर किराए पर रहें, पहले जान लें ये बात, इसके बाद करें फैसला
नौकरी पेशे वाले लोगों को शहरों में रहना पड़ता है। शहरों में प्रॉपर्टी के रेट हाई होने की वजह से किराए के मकान में रहना ही बेहतर विकल्प होता है। लेकिन कुछ लोग नौकरी लगते ही अपना नया घर खरीदने की सोचते हैं तो ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से ये बताने जा रहे हैं कि अपना घर खरीदें या फिर किराए पर रहना ठीक रहेगा।
Saral Kisan : उमा शशिकांत कई लोग नौकरी लगते ही घर खरीदने का सपना देखना शुरू कर देते हैं. मगर हर व्यक्ति के लिए घर खरीदना फायदेमंद नहीं है. अगर नौकरी में ट्रांसफर के चलते आपको शहर बदलना पड़ता है तो आपके लिए घर खरीदने के बजाय किराए पर रहना ठीक है. मैं आपको बताती हूं कि हर व्यक्ति के लिए घर खरीदना क्यों नहीं फायदेमंद है।
कुछ महीने पहले ही हम शादी के 36 साल बीत जाने के बाद 15वें घर में रहने पहुंचे. जब हमने किराये के लिए घर देखना शुरू किया तो हमारे दिमाग में दो चीजें थीं. एक तो हम किचन बड़ा चाहते थे और दूसरा यह चाहते थे कि पोर्टिको कवर्ड हो।
ऐसा नहीं है कि हम प्रॉपर्टी में निवेश नहीं करते. 18 साल पहले हमने घर खरीदने का फैसला किया था. हर सप्ताह के अंत में हम घर देखने जाते थे. अगर जगह पसंद आई तो सामने का व्यू खराब, अगर खिड़की बड़ी मिल भी गई तो सामने भीड़. अगर सब कुछ ठीक तो कीमत बहुत अधिक।
बहुत ढूंढने और कुछ समझौते के बाद हमने एक घर खरीदा. उम्मीद से अधिक लोन लेकर खरीदा गया घर मालिक बनने की उम्मीदों पर खरा उतरा. पति को ऑफिस जाने में अधिक चलना पड़ता था, लेकिन बच्चों का स्कूल पास में था. मेरा ऑफिस वहां से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था।
एक साल बाद ही बच्चे का स्कूल बदल गया. इसके बाद मैंने जॉब बदल ली. अब सब कुछ मुश्किल लगने लगा। उसके बाद हम किराये के एक घर में शिफ्ट हो गए. अपने घर को किराये पर उठाना भी मुश्किल हो गया. लोगों को हमारे घर में कई चीजें ठीक नहीं लगती थीं. किसी को बड़े बाथरूम से दिक्कत थी तो किसी को किचन बहुत आरामदेह लगता था. तब से अब तक घर ज्यादातर समय बंद ही रहता है।
समय से पहले ही हमने लोन चुका दिया. इससे हमें ख़ुशी नहीं हुई. हम घर को बेचना चाहते थे. घर के बुजुर्गों को लगता था कि घर भाग्यशाली है। हम उसके बाद सालों तक आराम से किराये के घर में रहते रहे. हम ऐसे घर में रहे जिसके ठीक सामने समुद्र था. जब भी हम एक से दूसरे घर में शिफ्ट होते हैं, हम अपनी चीजें दोस्तों, रिश्तेदारों में बांट देते हैं. यह वास्तव में हमारे लिए ख़ुशी का एक जरिया बन गया।
एक बार फिर हम पर अपने घर का भूत सवार हुआ. इस बार घर बड़ा था, महंगा भी और बेहतरीन बना हुआ था. हमने सोचा कि करीब 30 साल तक काम करने के बाद अंत में हम अपने घर में रह सकेंगे. तीन साल बाद ही हम कामकाज के सिलसिले में दूसरी जगह शिफ्ट हो गए।अब हम यह समझते हैं कि हमारी कंपनी चाहती है कि हम घूमते रहें।
जो लोग अपने पेशे में निवेश करते हैं और ग्राहकों से जुड़े हैं, उनके लिए एक जगह टिक कर रहना फायदेमंद है.हमारे जैसे लोग जो जॉब की स्थितियों के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं, उनके लिए घर खरीदना एक सिरदर्द की तरह है. घर बहुत जल्द पुराना पड़ जाता है. किरायेदार बाथरूम में नई फिटिंग के लिए बोलने लगते हैं. उन्हें नई टाइल्स, नया फ्लोर, बिजली के नए सामान चाहिए।
रिपेयर और मेंटेनेंस अलग समस्या है. किराये पर देने के बाद यह समस्या और बढ़ जाती है. वे हर समय इसे ठीक कराने के लिए बोलते रहते हैं. जिन लोगों ने बहुत शौक से होलिडे विल बनाया, वे भी अब उसे किराये पर देने को तत्पर हैं. शहरों में तो सर्विस्ड अपार्टमेंट में आपको कपड़े का एक बैग लेकर जाना है. बाकी सभी सुविधा वहां मौजूद है।
हम ज्यादा समय काम पर देते हैं इस लिहाज से वालपेपर के रंग और टीवी के पीछे की दीवार पर अधिक ध्यान देने की स्थिति में नहीं होते. हमारे निवेश की मदद से हम किराया आराम से चुका सकते हैं. यह हमारे लिए फोन बिल, ग्रॉसरी पर खर्च करने जैसा ही है। मुझे लगता है कि एक बड़े घर का सपना पालने की जगह बुढ़ापे में किराये के एक अपार्टमेंट में रहना बेहतर विकल्प है।