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Delhi के इस इलाके में 62 करोड़ रूपये में बिका बंगला, स्टांप ड्यूटी के देने पड़े 3 करोड़

Delhi Property : दिल्ली के इस इलाके में एक बंगला 61.70 करोड़ रुपये में बिका है। इस बंगले को खरीदने के लिए 3 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाई गई है। नीचे खबर में जानते हैं कितना बड़ा है यह बंगला और क्या-क्या हैं फैसिलिटी...
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Bungalow sold for Rs 62 crore in this area of ​​Delhi, had to pay Rs 3 crore as stamp duty

Delhi News : दिल्ली के पॉश निजामुद्दीन इलाके में एक बंगला 61.70 करोड़ रुपये का बंगला बिका है। इसे इंटरडेंटल ब्रश बनाने वाली एक कंपनी की डायरेक्टर ने खरीदा है। सेल डीड डॉक्यूमेंट्स से इसका खुलासा हुआ है। यह बंगला 873 स्क्वॉयर यार्ड्स का है। सेल डीड डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक ग्लोबलडेंट ऐड्स (GlobalDent Aids) की डायरेक्टर रेनू खुल्लर (Renu Khuller) ने इसे खरीदने के लिए 3 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाई है। इस बंगले को भारत और जनक गर्ग ने बेचा है। वेल्थवाइजरी कैपिटल (Wealthvisory Capital) के फाउंडर और सीईओ प्रदीप प्रजापति के मुताबिक यह निजामुद्दीन ईस्ट एरिया की सबसे महंगी डील हो सकती है जिसमें प्रति स्क्वॉयर फीट का भाव करीब 62 हजार रुपये बैठ रहा है।

कितना बड़ा है यह बंगला

सेल डीड डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक यह सौदा 13 जुलाई 2023 को रजिस्टर्ड हुई थी। यह बंगला 10 हजार स्क्वॉयर फीट में फैला हुआ है और इसमें ग्राउंड, फर्स्ट और सेकंड फ्लोर है। स्थानीय ब्रोकर्स के मुताबिक इसी साइज के बंगले 2018 और 2019 में 52 करोड़ रुपये में बिके थे। निजामुद्दीन ईस्ट एरिया में 800 स्क्वॉयर यार्ड के करीब 36 बंगले हैं।

दिल्ली में प्रॉपर्टी मार्केट की क्या है हालत

इस साल मार्च में देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की पत्नी वसुधा रोहतगी ने दिल्ली के गोल्फ लिंक में 160 करोड़ रुपये में 2160 स्क्वॉयर यार्ड में फैला बंगला खरीदा था। गोल्फ लिंक एरिया में ही इस साल फरवरी में मैक्सऑप इंजीनियरिंग के डायरेक्टर शैलेश अरोड़ा ने 575 स्क्वॉयर यार्ड का बंगला 68.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। कुछ साल पहले डिक्सन टेक के चेयरमैन और एमडी सुनील वचानी ने 1250 स्क्वॉयर यार्ड का बंगला 170 करोड़ रुपये में खरीदा था।

southdelhiprime.com के रोहित चोपड़ा का कहना है कि दिल्ली में अधिकतर प्रॉपर्टी के मूल मालिक अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं। रोहित के मुताबिक सेवेंटीज की उम्र जी रहे प्रॉपर्टी मालिक उत्तराधिकार योजना के तहत अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं। चूंकि उनके ऊपर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है तो जब तक अच्छी कीमत नहीं मिलती, वे बेचने का फैसला नहीं कर रहे।

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