बिहार सरकार आधार और मोबाइल नंबर से जोड़ेगी जमीन-मकान, मिलेगी बड़ी राहत!
Bihar News : सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसके अनुसार अब कोई भी व्यक्ति बिना मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति की सहमति के बिना जमीन की ना तो रजिस्ट्री कर सकता है और ना ही अंचल स्तर पर इसका जमाबंदी कायम होगा. इसके लिए सरकार द्वारा लिए गए आधार और मोबाइल नंबर को जमीन और मकान के मालिकाना हक से लिंक करने का प्रस्ताव दिया गया है.
बिहार में यह प्रक्रिया कैसे शुरू हुई?
बिहार में, शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक के जितने जमीन के प्लॉट व मकान हैं, उन्हें अब उनके मालिकाना हक के आधार और मोबाइल नंबर से लिंक किया जा रहा है. इस प्रक्रिया को भूमि एवं राजस्व विभाग द्वारा तेजी से लागू किया गया है. इसके लिए राजस्व कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है.
अपने प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी कैसे प्राप्त करें?
शहरी क्षेत्र में, नगर निगम ने भी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति के मोबाइल और आधार नंबर को लिंक करने का काम शुरू किया है. इससे लोग अपने प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी घर बैठे नगर निगम की वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं. इस प्रक्रिया से टैक्स बकाया से लेकर प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी मिनटों में प्राप्त हो जाएगी.
क्या है इस फैसले की महत्वपूर्ण बातें?
सरकार के इस फैसले के बाद, अब कोई भी व्यक्ति मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति की सहमति के बिना जमीन की ना तो रजिस्ट्री कर सकता है और ना ही अंचल स्तर पर इसका जमाबंदी ही कायम होगा. इससे आने वाले समय में जमीन की खरीद-बिक्री व जमाबंदी में जो फर्जीवाड़ा होता है, उस पर लगाम लगेगी.
आधार नंबर रजिस्ट्री में अनिवार्य
जमीन और मकान की रजिस्ट्री में पहले ही राज्य सरकार आधार और मोबाइल नंबर को अनिवार्य कर चुकी है. बीते एक साल से जितनी भी जमीन और मकान की रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज तैयार होता है, उसमें आधार और मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से दर्ज होती है. बिना आधार और मोबाइल नंबर कोई भी जमीन और मकान की रजिस्ट्री होती ही नहीं. इससे इनकम टैक्स छिपाने की कोशिश करने वाले कई लोग पकड़े भी गए हैं.
मृत व्यक्ति के नाम जमाबंदी
जमाबंदी पंजी को आधार कार्ड से लिंक करने की सबसे बड़ी परेशानी इस बात की है कि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे जमाबंदी उपलब्ध है, जिनके रैयत की मृत्यु हो चुकी है. लेकिन, मालगुजारी रसीद भी अभी उन्हीं के नाम पर कटती है. ऐसी स्थिति में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने उस जमाबंदी खाताधारक की पंजी को उसके उत्तराधिकारी के आधार से लिंक करना है, बशर्तें, सही उत्तराधिकारी हैं या नहीं. इसकी जांच की जिम्मेदारी सीओ को सौंपी गई है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तीन सुविधाएं
जमीन की जमाबंदी को आधार और मोबाइल नंबर से लिंक करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से एक साथ तीन सुविधाएं लागू की जा रही हैं. इनमें राजस्व कर्मचारी मोबाइल एप, जमाबंदी को हिंदी, उर्दू और मैथिली सहित 22 भाषाओं में देखे जाने की सुविधा और सभी जमाबंदियों की स्वैच्छिक आधार पर मोबाइल व आधार नंबर सीडिंग अभियान शामिल है.
पारदर्शिता के साथ कार्यों में आयेगी तेजी
विभाग द्वारा विकसित की जा रही सुविधाओं में से एक राजस्व कर्मचारी मोबाइल एप है, जिसके जरिये राजस्व कर्मचारियों के कार्यों की ऑनलाइन मॉनीटरिंग की जायेगी. यह पहल विभाग की गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए की जा रही है. इससे काम में भी तेजी आयेगी. इस मोबाइल एप के जरिये जमाबंदी से जुड़े सभी तरह के काम ऑनलाइन किये जा सकेंगे.
फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक
इस तरह से सभी जमाबंदी स्वैच्छिक आधार पर मोबाइल व आधार नंबर से जोड़ी जाएगी. जमाबंदी रैयत के स्वैच्छिक रूप से आधार, मोबाइल नंबर से संबंधित आंकड़ों की प्रविष्टि की जायेगी. इससे जमाबंदी को लेकर अब कोई धांधली या फर्जीवाड़ा नहीं होगा. पूरी पारदर्शिता के साथ रैयती जमीन की जमाबंदी होने की उम्मीद बढ़ गई है.
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