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Ajab-Gajab : देश के इस गांव में खुद का संविधान, और भी कड़े नियम जानकर रह जाओगे हैरान

भारत देश में कई ऐसे गांव है जहां के नियम सबसे अलग हैं यहां तक की इन गांव में भारत का संविधान तक नहीं चलता है इन गांव में खुद गांव वालों द्वारा बनाए गए कड़े नियम बनाए गए हैं। गांव में इन नियमों को कोई भी तोड़ नहीं सकता है।

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Ajab-Gajab: You will be surprised to know that this village of the country has its own constitution and even stricter rules.

Saral Kisan : भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत के संविधान के बारे में हम सभी जानते हैं। इसके आधार पर ही देश की कानून व्‍यवस्‍था चलती है। भारतीय संविधान का पालन करना हर भारतीय नागरिक की जिम्‍मेदारी है। चूंकि, भारत में अलग-अलग जाति, धर्म और अलग-अलग भाषा बाेलने वाले लोग रहते हैं, लेकिन कानून सभी के लिए एक है। हर किसी को यहां के नियम कायदे मानने होते हैं।

लेकिन इस मुल्‍क में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग भारत के संविधान को नहीं मानते। इस गांव का अपना ही संविधान है। यहां के लोग खुद न्यायपालिका और कार्यपालिका होते हैं। सदन के सदस्यों को चुनने का काम भी वे खुद ही करते हैं। पर यह गांव भारत का अजब-गजब गांव है। इस गांव के लोगों की जीवनशैली भी बड़ी दिलचस्‍प है। तो चलिए जानते आखिर क्‍यों लागू नहीं होता भारत का संविधान और क्‍या है इस गांव का रहस्‍य।

हिमाचल प्रदेश का मलाणा गांव - 

यह गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू जिले में करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा है। इस गांव का नाम है मलाणा। इसके चारों तरफ गहरी खाई और पहाड़ हैं। यह गांव कई गतिविधियों के कारण अक्‍सर चर्चा में रहता है। इस गांव में कोई भी भारतीय कानून नहीं माना जाता है। गांव वालों ने अपने खुद के कुछ नियम बना रखे हैं। इस गांव की खुद की संसद है। इसी आधार पर यहां सारे फैसले लिए जाते हैं।

ऐसा है मलाणा गांव का कानून -

​दिलचस्‍प बात है कि भारत का अंग होते हुए भी इस गांव की अपना संविधान है। गांव की संसद में दो सदन हैं। ऊपरी सदन और निचली सदन। ऊपरी सदन में 11 सदस्‍य हैं। इनमें से तीन कारदार, गुरु और पुजारी होते हैं। ये स्‍थाई सदस्‍य हैं। बाकी के 8 सदस्‍यों को ग्रामीण मतदान करके चुनते हैं। सदन के हर घर से एक सदस्‍य प्रतिनिधि होता है। संसद भवन के तौर पर यहां एक चौपाल है, जहां सारे विवादों को सुलझाया जाता है और यहीं सारे फैसले होते हैं।

नहीं छू सकते गांव की दीवार भी - ​

इस गांव के अपने कुछ सख्‍त नियम भी है। सुनकर आपको अजीब लगेगा, लेकिन यहां की दीवार को छूने की मनाही है। कोई भी बाहरी व्‍यक्ति गांव की दीवार को छू नहीं सकता। दीवार को छूने पर जुर्माना देना पड़ता है। यहां तक की पर्यटकों की भी इस गांव में एंट्री नहीं है।

चरस की खेती के लिए मशहूर है मलाणा

आपको शायद न पता हो, लेकिन मलाणा दुनिया में चरस की खेती के लिए बहुत मशहूर है। इस गांव के आसपास गांजा अच्‍छी मात्रा में उगाया जाता है, जिसे मलाणा क्रीम कहते हैं। यहां के लोगों को चरस के अलावा कोई और फसल उगाने में दिलचस्‍पी नहीं है। उनके लिए यह काला सोना है। वास्‍तव में यह उनके लिए रोजी रोटी का मुख्‍य साधन है।

पर्यटकों के बीच मशूहर है गांव - ​

इस गांव के बारे में ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो इसे अन्‍य गांवाें से अलग बनाती है। यहां के लोगों की भाषा बहुत अलग है। यहां पर कनाशी भाषा बोली जाती है, जिसे बाहर के लोगों को सिखाना मना है। और भी कई खूबियों के कारण यह गांव लोगों के बीच काफी मशहूर है। हालांकि, पर्यटक गांव में ठहर नहीं सकते, लेकिन इन्‍हें गांव के बाहर टेंट लगाकर रुकने की इजाजत है।

​कैसे पहुंचे मलाणा गांव - ​

मलाणा गांव यात्री बस या ट्रेन से जा सकते हैं। यह गांव कुल्लू से कुल 45 किमी की दूरी पर है। यहां आप ट्रेन से भी जा सकते हैं। चूंकि ट्रेन से गांव की दूरी बहुत ज्‍यादा है, इसलिए कुल्‍लू से आप बस ले सकते हैं। दोपहर के 3 बजे यहां से मलाणा के लिए बस होती है। बस आपको मलाणा बस स्‍टॉप तक छोड़ देगी। इसके बाद 3 से 4 किमी तक पैदल ट्रेकिंग करते हुए आपको गांव तक पहुंचना होगा। अपने व्‍हीकल से जा रहे हैं, तो अपने रिस्‍क पर लेकर जाएं, क्‍योंकि यहां पार्किंग की सुविधा नहीं होती। आप चाहें, तो प्राइवेट टेक्‍सी कर भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।

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