Supreme Court के इस फैसले में हुआ सब साफ, परिवार का यह सदस्य बेच या गिरवी रख सकता है सारी प्रोपर्टी
Supreme Court - सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस परिवार का सदस्य अपनी सारी संपत्ति गिरवी या बेच सकता है। अंत तक खबरों से जुड़े रहें, ताकि आप कोर्ट के फैसले की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें।
Supreme Court - सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के "कर्ता" को परिवार की संपत्ति को बेचने, निपटाने या अलग करने का अधिकार है, भले ही किसी नाबालिग सदस्य का अविभाजित हित हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसका कारण यह है कि एक एचयूएफ अपनी संपत्ति को अपने कर्ता या परिवार के किसी वयस्क सदस्य के माध्यम से नियंत्रित कर सकता है।
नारायण बल बनाम श्रीधर सुतार (1996) के फैसले का हवाला अदालत ने दिया। अदालत ने कहा कि उस फैसले में कर्ता और एचयूएफ को स्पष्ट रूप से समझाया गया है। ऋण वसूली न्यायाधिकरण में कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने सुनवाई की।
मद्रास हाईकोर्ट ने भी न्यायाधिकरण का निर्णय मान लिया था। NSB सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद अपील की गई। याचिकाकर्ता बालाजी ने कहा कि विचाराधीन संपत्ति हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की संपत्ति थी, जिसे उसके पिता ने गारंटर के रूप में गिरवी रखा था।
परिवार के अन्य लोगों की सहमति आवश्यक नहीं है—
शीर्ष अदालत ने निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता के पिता, एचयूएफ के "कर्ता" के रूप में, एचयूएफ की संपत्ति को गिरवी रखने का हकदार थे। HUF के अन्य सदस्यों को इसमें सहमत होने की जरूरत नहीं है।
यदि अलगाव कानूनी आवश्यकता या संपत्ति की बेहतरी के लिए नहीं हो, तो एक समान उत्तराधिकारी (कोपार्सनर) उस स्थिति में "कर्ता" के कार्य को चुनौती दे सकता है। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का कोई कारण नहीं है।
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