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Ajab Gajab : क्यों किराये के मकान में रहने वाले होते है जल्दी बूढ़े? रिसर्च ने किया खुलासा

बड़े-बड़े शहरों में नौकरी करने वाले लोग महंगी प्रॉपर्टी होने के कारण नया घर नहीं खरीद सकते हैं ऐसे में किराए का मकान लेकर रहते हैं। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है। रिसर्च में पता चला है कि किराए के मकान में रहने वाले लोग जल्द बूढ़े हो जाते हैं। 

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Ajab Gajab: Why do people living in rented houses grow old quickly? Research revealed

New Delhi : दिल्‍ली-मुंबई सहित दुनिया के सभी शहरों में बहुत सारे लोग किराए के घर में रहते हैं. क्‍योंकि महंगाई इतनी अधिक है कि हर कोई घर नहीं खरीद सकता. एक्‍सपर्ट मानते है कि अगर आपकी कमाई कम है तो घर खरीदने से बेहतर किराये पर रहना है . लेकिन किराये के मकान में रहने में बहुत सारी परेशानीओ का सामना करना पड़ता है. कब मकान मालिक आपको फ्लैट खाली करने को बोल दिया जाए, कहा नहीं जा सकता. आप उस घर को अपने हिसाब से सजाकर नहीं रख सकते क्‍योंकि किसी तरह का बदलाव नहीं करवा सकते. यह तो आम दिक्‍कतें हैं, लेकिन एक रिसर्च में अजबगजब  खुलासा हुआ है. पता चला है कि जो लो किराये के मकानों में अधिक समय तक रहते हैं, वे जल्‍दी बूढ़े हो जाते हैं।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में यह रिपोर्ट प्रकाश‍ित हुई है. इसमें कहा गया है कि घर किराए पर लेने का तनाव लोगों को मोटापे, धूम्रपान या बेरोजगारी की तुलना में ज्‍यादा परेशान कर रहा है. इस तनाव की वजह से लोग तेजी से बूढ़े हो रहे हैं. किराया चुकाने के लिए संघर्ष करना, दफ्तर या कामकाज वाली जगहों पर आने-जाने में होने वाली परेशानियां भारी तनाव दे रही हैं।

उम्र पर ज्‍यादा असर डाल रहा

शोधकर्ताओं का तर्क है कि मकान होना स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण कारक है. यह बेरोजगारी जैसे अन्य सामाजिक कारणों की तुलना में आपके उम्र पर ज्‍यादा असर डाल रहा है. अगर आपका अपना घर हो तो कई तरह का दबाव कम होगा. शोध से यह भी पता चला कि प्रदूषण, गंदगी और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं आपके बालों का रंग सफेद कर रही हैं. अगर लोगों को उनका आवास समय पर मिल जाए तो इस चिंता से वे मुक्‍त होंगे. तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।

रिसर्च ब्रिटेन में 40,000 घरों की गई

यह रिसर्च ब्रिटेन में 40,000 घरों की गई. हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जरूरी नहीं कि पूरी दुनिया के लिए यही पैमाना हो क्‍योंकि हर जगह के हालात अलग होते हैं. एनवाईयू ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में सह-निदेशक गिजेल राउथियर ने कहा, निष्‍कर्ष में आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं. यदि आपके पास ऐसा घर नहीं है जहां आप सुरक्षित महसूस करें, तो रोजाना की चुनौत‍ियां तो होंगी ही।

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