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उत्तर प्रदेश में इस रिंग रोड के सटा कर बसाया जाएगा नया शहर, पहले चरण के लिए जारी हुए 1000 करोड़

UP News : यूपी में इस रिंग रोड के किनारे नया शहर बसाने का प्लान किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि इसके पहले चरण के लिए एक हजार करोड़ रुपये मिल चुके है...
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A new city will be built adjacent to this ring road in Uttar Pradesh, Rs 1000 crore released for the first phase

UP New City : बृहद बनारस की परिकल्पना को साकार करने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) रिंग रोड किनारे एक हजार एकड़ में टाउनशिप विकसित करेगा। ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) की तर्ज पर हरहुआ से राजातालाब के बीच रिंग रोड किनारे चार टाउनशिप के जरिये नया शहर बसाया जाएगा। इसे ग्रेटर बनारस का नाम दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत प्रदेश के चार शहरों में टाउनशिप के लिए शासन ने चार हजार करोड़ का बजट (budget) जारी किया है। इसमें एक हजार करोड़ रुपये ग्रेटर बनारस बसाने के लिए आवंटित किए गए हैं। जून तक सर्वे का काम पूरा होगा और इसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रकिया शुरू होगी। रिंग रोड किनारे नई टाउनशिप बसाने का पूरा खाका विकास प्राधिकरण तैयार कर चुका है। रिंग रोड किनारे बसने वाले ग्रेटर बनारस में बाजार, मॉल, होटल, अस्पताल बनाए जाएंगे। इससे गांवों का विकास भी तेजी से होगा। लोगों को सुविधाएं मिलेंगी, साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।

हरहुआ से राजातालब तक गांवों के बहुरेंगे दिन

ग्रेटर बनारस बसने से हरहुआ से लेकर राजातालाब के बीच बसे गांवों को भी तेजी से विकास होगा। इसके आस-पास होटल, कॉमर्शियल कांप्लेक्स, आईटी इंडस्ट्रीज, ग्रीन एरिया आदि भी विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, खेल मैदान, मॉल आदि का भी निर्माण होगा।
शहर से कम होगा भीड़ का दबाव-

शहर के सुनियोजित विकास और विस्तार के लिए वीडीए इस योजना पर काम कर रहा है। ग्रेटर बनारस में दूसरे जिलों या प्रदेश से आने वालों को शहर के बाहर ही सभी सुविधाएं मिल जाएंगी। इसे देखते हुए शहर की भीड़ भी ग्रेटर बनारस की ओर शिफ्ट होगी। इससे प्राचीन शहर में लोगों को दबाव कम होगा।

क्या है मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना

मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नए शहर प्रोत्साहन योजना नई टाउनशिप विकसित करने के लिए शुरू की गई है। इसमें विकास प्राधिकरण शासन से पैसे लेकर जमीन खरीद सकेगा। सरकार से मिलने वाले पैसे पर यदि कोई ब्याज मिलता है तो उसका इस्तेमाल जमीन खरीदने पर किया जाएगा। जमीन खरीदने पर होने वाले खर्च आधा सरकार और आधा प्राधिकरण वहन करेगा।

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