देश के टॉप 53 में से 52 ऐप भारतीय यूजर्स को कर रहे हैं गुमराह, निर्णय लेने की क्षमता पर डालते हैं असर
User Data Privacy In India : आज के डिजिटल जमाने में हम खाना बनाने से लेकर शॉपिंग करने तक स्मार्टफोन में ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। हम इन ऐप को अपनी जिंदगी आसान बनाने का जरिया मानते हैं. भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) और पैरलल एचक्यू द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, अधिकांश ऐप्स हमें गुमराह कर रहे हैं।
Saral Kisan : स्मार्टफोन में खाना बनाने से लेकर शॉपिंग तक के लिए ऐप होते हैं। हम इन ऐप को अपने लिए मददगार मानते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। ज्यादातर ऐप हमें गुमराह करते हैं। ये हमारी निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं और हमारी निजता पर भी गलत तरीके से हमला करते हैं। यह जानकारी एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) और पैरेलल HQ के अध्ययन में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन में शामिल 53 में से 52 ऐप ने यूजर इंटरफेस और यूजर एक्सपीरियंस को भ्रमित करने वाला अपनाया है। ये यूजर्स को गुमराह करते हैं।
इन ऐप को 21 बिलियन बार डाउनलोड किया जा चुका है
यूजर्स को गुमराह करने वाले इन ऐप को 21 बिलियन बार डाउनलोड किया जा चुका है। विश्लेषण किए गए 79% ऐप में निजता का उल्लंघन पाया गया। 43% ऐप में 45% यूजर इंटरफेस में ड्रिप प्राइसिंग की गई। 32% ऐप गलत थे । हस्तक्षेप कर रहे थे। तत्परता दिखाकर दबाव बना रहे हैं।
ऐप्स निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर रहे हैं
ASCI रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐप्स उपयोगकर्ताओं की स्वायत्तता, निर्णय लेने की प्रक्रिया या निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। भ्रामक पैटर्न के ज़रिए धोखा देते हैं। शॉपिंग ऐप्स ड्रिप प्राइसिंग और झूठी तात्कालिकता पर जोर देते हैं। इसका अर्थ है कि ये ऐप्स गलत जानकारी देते हैं और हमारी निजता को नुकसान पहुंचाते हैं। ये ऐप्स अक्सर "डार्क पैटर्न" का उपयोग करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे जानबूझकर डिजाइन किए गए हैं, जिससे लोगों को अपने मनपसंद विकल्प चुनने में मुश्किल या अनचाहे विकल्प चुनने पर मजबूर करते हैं। नेटफ्लिक्स, ओला और स्विगी जैसे बड़े एप भी इस अध्ययन में शामिल हैं। ये ऐप हमारी निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर कर सकते हैं और हमारी निजी जानकारी को भी खतरे में डाल सकते हैं
उपयोगकर्ताओं को अकाउंट डिलीट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है
अध्ययन में शामिल सभी ई-कॉमर्स ऐप्स ने उपयोगकर्ताओं के लिए अकाउंट डिलीट करना मुश्किल बना दिया, जबकि पाँच में से चार हेल्थ-टेक ऐप्स उपयोगकर्ताओं पर निर्णय लेने में जल्दी करने के लिए समय-आधारित दबाव डाल रहे थे।