बिहार के 3 जिले दलहन की खेती के लिए चयनित, किसानों को मुफ्त मिलेगा बीज
Bihar News : भारत में काफी राज्यों में दलहन फसलों की खेती की जाती है। दलहन फसलों में कुछ ऐसी किस्म है जिन्हें कम बारिश और पानी की जरूरत होती है। बिहार जिले में अरहर की खेती खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को दे रही प्रोत्साहन।
Pulse Cultivation : भारत के राज्य बिहार का गया जिला कम बारिश वाला इलाका है। खरीफ सीजन में क्षेत्रीय किसान बारिश पर ही फिर घर रहते हैं। बरसात न होने के कारण अधिकांश किसानों की जमीन खाली रह जाती है। उन किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से अरहर की खेती करने पर जोर दिया जा रहा है।
बिहार के गया जिले में पहले से ही अरहर की खेती की जा रही है परंतु किसान इसकी खेती मेढ पर ही करते हैं लेकिन अब सरकार द्वारा प्रति खेत में वैज्ञानिकों द्वारा किसानो को खेती करने के तरीके को बताया जाएगा। बिहार के गया जिले की जलवायु अरहर की खेती के लिए काफी अनुकूल मानी जाती है। मानपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में एनसीसीएफ और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से गया के 400 से ज्यादा किसानों को 2 किलोग्राम हरि अरहर का आवंटित किया गया और उन्हें अरहर की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
राज्य सरकार दलहन स्टॉक बंपर रखने के लिए देश के अनेकों जिलों में दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को अच्छी किसम की प्रजातियां उपलब्ध करवा रही है। इसके उत्पादन के उपरांत राष्ट्रीय भारतीय उपभोक्ता संघ दोबारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाएगी।
दलहन का उत्पादन भी बढ़ेगा
इससे देश में दलहन का उत्पादन भी बढ़ेगा एवं साथ ही दलहन के उत्पादक किसान की आर्थिक उन्नति में बढ़ोतरी होगी. गया जिले के बांके बाजार, डुमरिया, इमामगंज, बाराचट्टी, गुरुआ जैसे प्रखंड क्षेत्र में अरहर की खेती खूब होती है और यहां लगभग 10000 हेक्टेयर में इस वर्ष दलहन की खेती को लेकर लक्ष्य रखा गया है.
एनसीसीएफ पटना के शाखा प्रबंधक राजेश कुमार बताते हैं बिहार के तीन जिला गया, नवादा और जमुई को दलहन की खेती के लिए चयनित किया गया है और यहां पहले से ही अरहर की खेती होती आ रही है. लेकिन जागरूकता के कारण किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती नहीं कर पा रहे हैं. दलहन की खेती में किसान आत्मनिर्भर बने इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है और उन्हें एनसीसीएफ की तरफ से निशुल्क बीज का भी वितरण किया जा रहा है. अरहर की खेती से यह फायदा होगा कि किसानों को खाने के लिए दाल मिलेगा और इससे उन्हें न्यूट्रिशन भी मिलेगा. सरकार की भी सोच है कि हर थाली में दाल मिले.
इस संबंध में गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं कि गया जिले में पिछले साल तक 2000 हेक्टेयर में दलहन की खेती की जा रही थी लेकिन इस वर्ष 10000 हेक्टेयर में इसका लक्ष्य दिया गया है और किसानों को 80% अनुदान पर बीज भी उपलब्ध करा दिया गया है. इन्होंने बताया कि अरहर की खेती लंबे समय की खेती है और इसमें 600 से 700 मिली मीटर पानी की आवश्यकता होती है. गया जिले का जलवायु अरहर की खेती के लिए काफी उपयुक्त है.