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164 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के इन 2 शहरों की बीच चली थी उत्तर भारत की पहली ट्रेन

UP News : आज हम आपको अपनी इस खबर में उत्तर भारत की चलने वाली पहली ट्रेन के बारे में बताने जा रहे है। आपको बता दें कि पहली बार तीन मार्च 1859 को प्रयागराज से कानपुर के लिए यात्री ट्रेन चली थी। तब तक दिल्ली रेलवे के नक्शे में शामिल नहीं थी..
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164 years ago, North India's first train ran between these two cities of Uttar Pradesh.

UP News : तीन मार्च की तारीख संगम नगरी और कानपुर के लिए बेहद खास है। क्योंकि इस दिन ठीक 164 वर्ष पूर्व प्रयागराज (तब इलाहाबाद) और कानपुर देश के रेल नक्शे में शामिल हो गए थे। पहली बार तीन मार्च 1859 को प्रयागराज से कानपुर के लिए यात्री ट्रेन चली थी। तब तक दिल्ली रेलवे के नक्शे में शामिल नहीं थी। इसके पांच वर्ष बाद दिल्ली रेलवे नेटवर्क से जुड़ा था।

देश में पहली बार 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच ट्रेन चली थी, लेकिन उत्तर भारत में पहली बार रेल संचालन 1859 में ही शुरू हो सका था। तब ट्रेन में स्टीम इंजन लगा था। खास बात यह है कि तीन मार्च को ही प्रयागराज स्थित किला के अंदर जाने वाली रेल लाइन भी खोली गई थी। हालांकि 1954 में लगे कुंभ के बाद किला लाइन को बंद कर दिया गया था।

फिलहाल 164 वर्ष के सफर में रेलवे में तमाम क्रांतिकारी बदलाव भी हुए हैं। अब भारतीय रेल अपने नेटवर्क के लिहाज से विश्व में तीसरे स्थान पर है। कानपुर- प्रयागराज रूट की बात करें तो एक यात्री ट्रेन से शुरू हुआ सफर अब काफी विशाल हो गया है। वर्तमान समय में वंदे भारत समेत प्रयागराज-कानपुर रूट पर 92 यात्री ट्रेनों की आवाजाही है।

1856 में तैयार हुआ था प्रयागराज-कानपुर रूट-

प्रयागराज-कानपुर रेलखंड का बड़ा भाग मई 1856 में ही तैयार हो गया था। फरवरी 1857 में तब 26 मील (41.8 किमी) की दूरी पर एक इंजन का ट्रायल लिया गया। इसी वर्ष इस रेलखंड पर एक अतिरिक्त रेलखंड खोला जाना था, लेकिन देश के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की वजह से यह कार्य पिछड़ गया। उत्तर मध्य रेलवे की काफी टेबल बुक में भी इसका उल्लेख किया गया है। इसके बाद यह रूट 1859 में तैयार हो सका और पहली बार तीन मार्च को कानपुर तक ट्रेन चली। यह शुरुआत में केवल सैनिकों और उपकरणों की आवाजाही के लिए रणनीतिक उद्देश्यों के लिए था।

अगस्त 1864 में हावड़ा-दिल्ली रूट पर चली पहली यात्री ट्रेन-

0 प्रयागराज-कानपुर रूट पर रेल संचालन शुरू होने के पांच वर्ष बाद एक अगस्त 1864 में हावड़ा से पहली ट्रेन दिल्ली पहुंची। तब प्रयागराज में यमुना पर पुल तैयार नहीं था। उस दौरान फेरी से ट्रेन के कोच नदी के पार करवाए गए। हालांकि 15 अगस्त 1865 में नैनी में यमुना पुल तैयार हो गया था। उक्त पुल से आज भी ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। उधर दिल्ली में यमुना पुल एक जनवरी 1867 में तैयार हुआ। उसके पूर्व दिल्ली शाहदरा तक ही ट्रेनों की आवाजाही होती थी।

कब कौन सा खुला रेलखंड-

कानपुर से इटावा - एक जुलाई 1861
इटावा से शिकोहाबाद - 13 नवंबर 1861
शिकोहाबाद से टूंडला - एक अप्रैल 1862
टूंडला से अलीगढ़ - एक मार्च 1863
अलीगढ़ से चोला - एक अप्रैल 1864
चोला से गाजियाबाद - एक अगस्त 1864

रेलवे के लिहाज से निश्चित आज का दिन खास है। 164 वर्ष पूर्व आज ही के दिन प्रयागराज से कानपुर के बीच पहली ट्रेन चली थी। अब यह रूट देश के व्यस्ततम रूट में शामिल है। मिशन रफ्तार के तहत इस रूट पर अधिकतम 160 किमी की रफ्तार से ट्रेन चलाने की तैयारी है।

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