होम लोन की EMI और भी हो जाएगी सस्ती, RBI जल्द करेगा रेपो रेट में कटौती
यदि आपके बैंक से कोई लोन चल रहा है, तो आपके लिए अच्छी खबर है। आरबीआई कुछ समय बाद फिर से रेपो रेट में कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक पहले ही लगातार तीन बार इसमें कटौती कर चुका है और इस अवधि में रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कमी आई है।
Saral Kisan, RBI News : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने पहले ही तीन बार रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कमी की है। हाल ही में, उसने पॉलिसी रेट में 50 बीपीएस की कटौती की थी। एंजेल वन की रिपोर्ट "Ionic Wealth" के अनुसार, आरबीआई कुछ समय रुकने के बाद फिर से रेपो रेट में कटौती कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में और लिक्विडिटी की आवश्यकता हो सकती है। रेपो रेट में कमी से सभी प्रकार के ब्याज दरें सस्ती हो जाती हैं।
हाल ही में, RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई का अनुमान घटाकर 3.7% कर दिया है। पहले तीन महीनों के लिए यह अनुमान 2.9% है। अप्रैल और मई में महंगाई का औसत भी इसी के आसपास रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI कुछ समय बाद ब्याज दरें कम कर सकता है और दूसरी छमाही में और अधिक लिक्विडिटी डालने की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि RBI को लग सकता है कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरें और कम करनी पड़ेंगी।
महंगाई में कमी
देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई मई 2025 में घटकर 2.82% रह गई, जो पिछले महीने अप्रैल 2025 में 3.16% थी। CPI एक ऐसा पैमाना है जिससे पता चलता है कि लोगों के लिए चीजें कितनी महंगी हो रही हैं। महीने के हिसाब से देखें तो महंगाई में 35 बेसिस पॉइंट्स की कमी आई है। कोर महंगाई थोड़ी घटकर 4.28% रह गई है, जो पिछले महीने 4.36% थी। कोर महंगाई में खाने-पीने की चीजों और ईंधन को शामिल नहीं किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई के मौजूदा आंकड़ों के आधार पर आरबीआई के पास आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का एक अच्छा अवसर है। चूंकि महंगाई काबू में है, इसलिए आरबीआई ब्याज दरें कम करके अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू महंगाई तो नियंत्रण में है, लेकिन बाहरी कारणों जैसे भू-राजनीतिक हालात और व्यापार समझौतों का असर महंगाई पर पड़ सकता है।
खाने-पीने की चीजों के दाम
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आयातित महंगाई से कुछ अनिश्चितता बनी हुई है। इसका मतलब है कि दूसरे देशों से आने वाली चीजों के दाम बढ़ने से भारत में भी महंगाई बढ़ सकती है। खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने से महंगाई में काफी कमी आई है। मई में खाद्य महंगाई घटकर 0.99% हो गई, जो अप्रैल में 1.78% थी। सब्जियों के दाम में पिछले साल की तुलना में 13.7% की भारी गिरावट आई है।
दालों के दाम में भी पिछले साल की तुलना में 8.2% की कमी आई है। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले साल इन चीजों के दाम अधिक थे। अनाज के दाम बढ़ने की गति भी धीमी हो गई है। मई में अनाज के दाम 4.7% बढ़े, जबकि अप्रैल में 5.4% बढ़े थे। खाने-पीने की चीजों की सप्लाई में सुधार होने से दाम कम हुए हैं। रबी की फसल अच्छी हुई है और खरीफ की बुवाई भी ठीक चल रही है, जिससे सप्लाई में सुधार हुआ है।