wife property rights : पत्नी कब बेच सकती है जमीन-जायदाद, हाईकोर्ट ने दिया ये अधिकार

wife property rights : देशभर में प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने के लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। आज की इस खबर में हम आपको हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा बताए गए उन अधिकारों के बारे में जानकारी देंगे, जिनके तहत पत्नी किस स्थिति में प्रॉपर्टी बेच सकती है। आइए, इस खबर में प्रॉपर्टी बेचने से संबंधित इस अधिकार के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

 

Saral Kisan, wife property rights : प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ खरीदने और बेचने के नियमों में भी बदलाव आया है, जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। क्या आप जानते हैं कि पत्नी किस स्थिति में प्रॉपर्टी बेच सकती है? आज हम आपको मद्रास हाई कोर्ट की डबल बेंच द्वारा बताए गए इस अधिकार के बारे में बताएंगे, जिसमें प्रॉपर्टी बेचने से जुड़े अधिकार को स्पष्ट रूप से बताया गया है। 

मद्रास हाई कोर्ट की डबल बेंच ने पति के गार्जियन के रूप में पत्नी को नियुक्त किया है। पति के कोमा में रहने के कारण पत्नी को उनका गार्जियन बनाने का निर्देश दिया गया है, ताकि वह संपत्ति को बेच सकें या गिरवी रख सकें। इससे उस व्यक्ति के चिकित्सा खर्च का वहन किया जा सकेगा और परिवार का भरण-पोषण हो सकेगा। 

कोमा में गए व्यक्ति के पास 1 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति है। पहले सिंगल बेंच ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामला डबल बेंच के पास पहुंचा। 

कोर्ट ने इस पर क्या कहा... 

हाईकोर्ट के जस्टिस जी. आर. स्वामिनाथन और जस्टिस पी. बी. बालाजी ने कहा कि कोमा में रहने वाले व्यक्ति की देखभाल करना आसान नहीं है। इसके लिए सबसे पहले पैसे की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत होती है जो उनकी चिकित्सा स्थिति का ध्यान रख सके। 

महिला पर इस मामले का सारा बोझ आ गया है। याचिकाकर्ता को सिविल कोर्ट जाने के लिए कहना उचित नहीं होगा। तथ्यों के आधार पर महिला को राहत प्रदान करना आवश्यक है। 

कोर्ट ने यह अनुमति दी है कि वह अचल संपत्ति को गिरवी रख सकती हैं या बेच सकती हैं ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके और पति के इलाज का खर्च उठाया जा सके। 

यह भी कहा गया कि संपत्ति बेचने के बाद 50 लाख रुपये पति के नाम पर एफडी के रूप में रखा जाए। उस पैसे का ब्याज महिला बैंक से निकाल सकेगी। यह एफडी महिला के पति के जीवनकाल तक बनी रहेगी। 

यह मामला क्या है? 

चेन्नई की एक महिला ने याचिका दायर की थी कि उसे अपने पति का गार्जियन नियुक्त किया जाए, जो कि कोमा में हैं। महिला का कहना था कि उनके पति पिछले पांच महीनों से कोमा में हैं। 

ऐसे में उन्हें यह अनुमति दी जाए कि वे बैंक खाता संचालित कर सकें और अचल संपत्ति को गिरवी रख सकें या बेच सकें। सिंगल बेंच का कहना था कि महिला की याचिका विचारणीय नहीं है और यह निर्णय सही नहीं है। 

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय 

पति के गार्जियन के रूप में पत्नी को नियुक्त करने का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वास्तव में, इस तरह के कई मामले सामने आते हैं जब परिवार के मुखिया के बीमार होने पर उनके चिकित्सा खर्च या परिवार के भरण-पोषण का सवाल उठता है। 

परिवार के मुखिया के रहते हुए उनके कानूनी वारिस उनकी खुद की कमाई गई संपत्ति पर भी दावा नहीं कर सकते। कोमा में रहने की स्थिति में वह व्यक्ति न तो वसीयत कर सकता है और न ही अपनी राय रख सकता है। ऐसे लोगों के इलाज या परिजनों की देखभाल के मामले में मौजूदा निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।