Wheat Variety Benefits: गेहूं की इन उन्नत किस्म से मिलेगी शानदार पैदावार, किसान करेंगे मोटी कमाई

हमारा देश कृषि पर निर्भर है। यहां के अधिकांश किसान खेती करते हैं। कृषक अच्छी उपज और गुणवत्ता वाले बीजों को अधिक प्राथमिकता देते हैं। गेहूं की नई रोग प्रतिरोधी और गुणवत्तापूर्ण किस्मों को रबी मौसम में बोया जाता है। ताकि उन्हें अधिक उत्पादन और लाभ मिल सके। गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में आज हम आपको बताएंगे।
 

Wheat Variety Benefits: हर किसान चाहता है कि उनकी फसल अच्छी हो और अधिक उत्पादन दे ताकि वे अधिक पैसा कमा सकें, लेकिन ऐसा तभी होगा जब आपने अच्छी गुणवत्ता वाली फसल बोई हो। हम भी ऐसी किस्में लेकर आए हैं जिनके उत्पादन से पिछले वर्ष किसानों को बहुत पैसा मिला था। आइए जानते हैं ये किस्में कौन सी हैं। ये गेहूं की किस्में अधिक उपज देती हैं।

पूसा मंगल Hi- 8713 एक कठिया गेहूँ की उन्नत किस्म है। यह अन्य जौ से अधिक महंगा है। इस किस्म के दाने मोटे, बड़े होते हैं और कम चमकदार लगते हैं। इसका उपयोग सूजी, पास्ता और दलिया में किया जाता है।

पूसा मंगल, Hi-8713 गेहूं की एक उन्नत किस्म है, जिसकी ऊंचाई 2.5 से 3 फीट है और बीज प्रति एकड़ 70 kg है। अक्टूबर से नवंबर तक इसकी बुआई की जाती है। इसे तीन से चार बार सिंचाई चाहिए। इसके पकने में लगभग 130 से 140 दिन लगते हैं। यह गेहूं की किस्म प्रति एकड़ ३२ क्विंटल से अधिक उत्पादन कर सकती है।

पूसा पोषण Hi-8663: यह किस्म सबसे अधिक उत्पादन देती है। यह प्रीमियम गेहूं या सुनहरा भी कहलाता है। यह प्रति हेक्टेयर 95.32 क्विंटल उत्पादन कर सकता है। HI-8663 जीनोटाइप विशेषताओं के साथ गेहूं का बीज उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता का प्रदर्शन करता है।

पूसा पोषण Hi – 8663 में अधिक पोषक तत्व होने के कारण इसकी बाजार में बड़ी मांग है। प्रोटोन से भरपूर ब्रेड, सूजी और पास्ता इससे बनाए जाते हैं। इस किस्म की बुआई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा है। यह प्रजाति गर्म हो सकती है। 120 से 130 दिन में पक जाएगा।

इंदौर कृषि अनुसंधान केंद्र ने पूसा तेजस की किस्म "HI-8759" बनाई है। यह भी जौ की एक कठोर किस्म है। HI 8759, कठिया या ड्यूरम गेहूं की किस्म, मध्य क्षेत्र में उच्च उर्वरता वाले क्षेत्रों में खेती की जाती है। यह "ब्लास्ट" रोग, गेरुआ रोग, कंडवा रोग और करनाल बंट रोगों से बचता है। इस किस्म की पत्तियाँ चिकनी, सीधी, चौड़ी और मध्यम आकार की होती हैं। इसके पौधे में दस से बारह कलियाँ हैं।

इसे कैसे पता करें?

यह प्रजाति अधिक पौष्टिक है। इसमें जिंक, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण खनिज बहुत मौजूद हैं। यह रोटी, पास्ता, नूडल्स और मैकरोनी बनाने के लिए बहुत अच्छा है। इस किस्म को कम पानी की जरूरत है। बुआई के 75 दिन बाद इस किस्म की बालियाँ निकलती हैं और 115 से 120 दिन में पक जाती हैं। 65 से 75 हेक्टेयर की उपज है।

पूसा मालवी (HI 8737) खेती में मालवी गेहूं बहुत जरूरी है। यह गेहूं की किस्म अधिक उपज देती है और मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करती है. मालवी गेहूं विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है और सूजी से कई पौष्टिक व्यंजन बनाए जा सकते हैं, जैसे दलिया, बाटी और पोषणपूर्ण व्यंजन।

ये पढ़ें : UP : यूपी वालों को अब नहीं होगी बिजली की कोई समस्या, हाईवे से आते-जाते वाहनों के वजन से बनेगी अब Electricity