कपास की फसल में फैल रहा ये वायरस, मुरझा रहे बीटी कॉटन के पौधे, एक्सपर्ट ने बताया उपचार

Cotton Ki Kheti: देश में बरसाती सीजन के चलते एक तरफ जहां मौसम सुहाना बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ कपास की फसल में रोगों का खतरा इस समय ज्यादा बढ़ जाता है. कपास की फसल पर बढ़ता यह नया खतरा किसानों की आमदनी पर गहरा असर डालता है. ऐसे मौसम में खेतों में अचानक एक साथ कई पौधे मुरझाते हुए दिखाई देते हैं।

 

Khargone NewsParamilt virus Symptoms: देश में कपास की खेती कई जिलो में की जाती है. इस समय मानसूनी बरसात के बाद कपास की फसल में पैरामिलेट वायरस होने का खतरा सबसे ज्यादा बना रहता है. इसमें रुक-रुक कर हो रही बरसात और बाद में तेज धूप के कारण यह वायरस कपास की फसल को ज्यादा स्पीड में लेता है. अगर उचित समय पर इसका समाधान ना किया जाए तो यह किसानों के लिए खतरे की घंटी साबित होता है. खरगोन जिले में पैरामिल्ट वायरस ने कपास की फसल को ज्यादा खतरा पैदा कर दिया हैं। यह वायरस बारिश और तेज धूप के बीच जल-प्रवाह की गड़बड़ी से जड़ से पौधों को सुखा देता है।

पैरामिल्ट वायरस की चपेट में कपास की फसल 

देश में बरसाती मौसम जहां एक ओर सुहावना बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर कपास की फसल पर पैरामिल्ट वायरस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में मध्यप्रदेश का कपास उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ जिला खरगोन पैरामिल्ट वायरस की चपेट में है।  ध्यान दें कि खरगोन में मौसम की स्थिति समझ से परे है। कभी-कभी हल्की बारिश होती है, तो कभी-कभी तेज धूप होती है। यह बदलाव फसलों के साथ-साथ लोगों के लिए भी खतरनाक है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस अप्रत्याशित मौसम बदलाव के चलते, बीटी कॉटन, जिले की प्रमुख नकदी फसल, पर पैरामिल्ट वायरस का खतरा बढ़ सकता है। यह वायरस पौधों की जड़ों को कुछ घंटों में कमजोर कर देता है।

कई पौधे एक साथ मुरझाने लगते हैं

जैसा कि कृषि विज्ञान केंद्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं, पैरामिल्ट एक प्रकार की फिजियोलॉजिकल समस्या है जो पौधे के अंदर जल और पोषण के प्रवाह को बाधित करती है। यह स्थिति तब होती है जब बारिश के बाद अचानक तेज धूप निकलती है या लंबा बारिश का अंतराल पड़ता है और फिर अचानक वर्षा होती है। ऐसे मौसम में खेतों में अचानक एक साथ कई पौधे मुरझाते हुए दिखाई देते हैं।

जल्दी करे समाधान 

विशेषज्ञ ने कहा कि किसान को 72 घंटे के भीतर उपचार शुरू करना चाहिए अगर खेत में ऐसे लक्षण दिखाई दें। 10 मिलीग्राम कोबाल्ट क्लोराइट प्रति लीटर पानी में 20 ग्राम यूरिया मिलाकर पौधों की जड़ों में छिड़कें जब पौधे मुरझाने लगे। इलाज को 72 घंटे के भीतर करना आवश्यक है, ताकि प्रभाव दिखाई दे और बाकी पौधे सुरक्षित रहें। यह जड़ों को फिर से सक्रिय करता है, जिससे पौधे पानी खींचने लगते हैं।

बचाव के उपाय

वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने कहा कि अगर कोबाल्ट क्लोराइट उपलब्ध नहीं है, तो किसान कोर्बेंडाजिम एक ग्राम को 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में मिलाकर जड़ों में डाल सकते हैं। या फिर 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 20 ग्राम यूरिया के साथ एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि 3 दिन के भीतर छिड़काव या सिंचन प्रभावी होगा।

पैरामिल्ट (Parmillet) या मुरझाने वाली बीमारी के लक्षण

पत्तियों का अचानक मुरझाना – स्वस्थ दिखने वाले पौधे की पत्तियां अचानक से मुरझा जाती हैं।

ऊपरी टहनियों का झुकना या सूखना – पौधे की ऊपरी शाखाएं झुकने लगती हैं और धीरे-धीरे सूख जाती हैं।

पौधे के रंग में बदलाव – पत्तियों और तनों का रंग हल्का पीला या भूरा होने लगता है।

पौधों का गिरना – खेत में कुछ पौधे ऐसे गिर जाते हैं जैसे किसी ने उन्हें काट दिया हो।