भारतीय किसानों के दिलों पर राज करती है लहसुन की ये 5 किस्में, उत्पादन और गुणवत्ता का नहीं कोई तोड़
Garlic best 5 variety : भारतीय किसानों के लिए लहसुन की फसल किसी सफेद सोने से कम नहीं है। क्योंकि भारतीय रसोई में लहसुन की मांग इसके अनगिनत फ़ायदों की वजह से बनी रहती है। भारतीय किसानों द्वारा लहसुन की खेती को काफी पसंद किया जाता है। क्योंकि इसे लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है। भारत के कई राज्यों में लहसुन की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। लहसुन एक ऐसी नकदी फसल है जिसे किसान अपनी जरूरत के अनुसार मंडी में कभी भी बेच सकते है। इसी वजह से आजकल किसान अन्य फसलों को छोड़कर लहसुन की और आकर्षित जो रहे है।
आज के समय में लहसुन एक ऐसा फसल बन गई है जिसका इस्तेमाल सिर्फ खाने तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयों, मसालों, घरेलू उपचारों, प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और निर्यात बाजार में इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. जिसकी सीधा असर मांग पर पड़ रहा है। जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। आज के समय में उन किसानों को सबसे अधिक फायदा मिल रहा है। जो अधिक मांग वाली किस्मों की खेती कर रहे है। आज हम किसान भाइयों के लिए लहसुन की टॉप 5 किस्में लेकर आए है जो जबरदस्त उत्पादन देगी। आज हम आपको लहसुन की टॉप किस्मों- यमुना सफेद-3 (G-282), एग्रीफाउंड पार्वती (G-313), एग्रीफाउंड सफेद (G-41) और ऊटी के बारे में बताने वाले है, लहसुन की ये किस्में शानदार पैदावार के लिए मानी जाती है।
लहसुन की 5 टॉप किस्में, विशेषताएँ और उत्पादन
| किस्म किस्म का नाम |
विशेषता |
पकने की समय |
उत्पादन |
| यमुना सफेद-3 (G-282) |
बड़े आकार के, ठोस, सफेद रंग के, गूदा क्रीम रंग का। एक कंद में लगभग 15-16 कलियाँ होती हैं। |
120-145 दिन |
175-200 क्विंटल/हेक्टेयर |
| एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) |
कंद: गुलाबी रंग के साथ मलाईदार सफेद होता है। यह मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों (जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड) की किस्म है |
230-250 दिन |
200-225 क्विंटल/हेक्टेयर |
| ऊटी (Ooty 1) |
कंद: बड़े आकार के (40-50 ग्राम), चमकदार सफेद, मोटी कलियाँ होती है। इसकी उपज देसी किस्मों से करीबन दोगुनी होती है। |
120-140 दिन |
150-170 क्विंटल/हेक्टेयर (या 40-60 क्विंटल/एकड़) |
| यमुना सफेद (G-1) |
कंद: ठोस, चांदी की तरह सफेद, पूरे भारत में उगाने के लिए उपयुक्त होती है। |
150-160 दिन |
150-175 क्विंटल/हेक्टेयर |
| एग्रीफाउंड सफेद (G-41) |
कंद: ठोस, मध्यम आकार के सफेद, गूदा क्रीम रंग का। बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी। |
160-165 दिन |
125-130 क्विंटल/हेक्टेयर |
यमुना सफेद-3 (G-282) लहसुन
किसानों के लिए यमुना सफेद-3 (G-282) लहसुन की एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जिसकी मांग देशभर में बनी रहती है। इस किस्म के बल्ब बड़े, छिलका सफेद और मजबूत होता हैं। प्रत्येक बल्ब में लगभग 15-16 कलियाँ होती हैं, जो इसे अन्य किस्मों से बेहतर बनाती हैं। इस किस्म को व्यापारी और उपभोक्ता द्वारा काफी पसंद किया जाता है, जिससे वजह से किसानों को शानदार फायदा मिलता है। यह किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
एग्रीफाउंड पार्वती (G-313)
पहाड़ी इलाकों में खेती करने वाले किसानों के लिए एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) लहसुन की एक उत्तम किस्म मानी जाती है, इस किस्म की मांग भारत में सालभर बनी रहती है। इसकी मुख्य विशेषताओं में गुलाबी रंग, प्रत्येक बल्ब में 10-16 बड़ी कलियाँ शामिल हैं। यह विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है। इसकी उत्पादन अवधि लगभग 230-250 दिन है, और किसान प्रति हेक्टेयर 200-225 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती हैं।
ऊटी लहसुन
ऊटी लहसुन को एक प्रीमियम किस्म माना जाता है, यह उच्च उपज वाली किस्म है जिसके कंद बड़े आकार के होते हैं और यह छीलने में आसान होता है, इसलिए यह उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह किस्म किसानों को 120 से 140 दिनों में अच्छी उपज देती है। इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में की जाती है।
यमुना सफेद (G-1)
लहसुन की ये किस्म ठोस कंद के साथ चांदी की तरह सफेद होती है, यह देश के किसी वही हिस्से में उगाई जा सकती है। इस किस्म को तैयार होने में 150-160 दिन का समय लगता है, इस किस्म से 150-175 क्विंटल/हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है। यह किस्म अपनी उच्च गुणवत्ता, बाजार में मजबूत मांग और व्यापक अनुकूलन क्षमता की वजह से भारतीय किसानों के दिलों पर राज करती है। इसके कंदों की बनावट ठोस, रंग चांदी की तरह सफेद और चमकदार होती है, जो इसे खाने (table purpose) और बेचने (processing) दोनों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
एग्रीफाउंड सफेद (G-41)
लहसुन की इस किस्म को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (NHRDF) द्वारा विकसित किया गया है। यह लहसुन के दो प्रमुख फफूंदी रोगों—बैंगनी धब्बा (Purple Blotch) और झुलसा (Stemphylium blight) के प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता मानी जाती है, जिससे किसानों को होने वाला नुकसान को कम किया जा सकता है। एनएचआरडीएफ (NHRDF) द्वारा विकसित यह लहसुन की किस्म बेहतर गुणवत्ता, मध्यम से बड़े, आकर्षक सफेद और ठोस कंदों वाली है। यह 160-165 दिनों में पकती है और इसका औसत उत्पादन 125-130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।