Paddy Variety: धान की 5 कम पानी में ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में, अन्य खर्च भी होंगे कम
Paddy Cultivation : भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इस खेती से किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है। धान की खेती में पानी की जरूरत होती है। इसलिए अधिकांश किसान इसे बरसात के मौसम में करते हैं। लेकिन धान की कुछ किस्में कम पानी में भी बंपर पैदावार देती हैं। आइए जानते हैं।
Basmati Paddy Varieties : धान खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल है, देश के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं। किसान अब अपने खेतों में धान की पोध लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि, धान की खेती की सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई है, क्योंकि इस फसल को तैयार करने के लिए सामान्यत बड़ी मात्रा में पानी की जरूरत होती है।
इस चुनौती का समाधान अब कृषि वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला है। उन्होंने ऐसी कई बासमती किस्में विकसित की हैं जो कम पानी में भी अच्छी उपज देने में सक्षम हैं। खास बात यह है कि इन किस्मों को सूखा प्रभावित और सीमित सिंचाई वाले इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। ऐसे में जिन किसानों को सिंचाई की चिंता सताती है, उनके लिए ये किस्में किसी वरदान से कम नहीं हैं।
चावल की पूसा बासमती-1121 किस्म
धान की पूसा बासमती-1121 किस्म को सिंचित इलाकों में उगाया जा सकता है। यह किस्म 140 से 145 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है। यह धान की अगेती प्रजाति है, इसका दाना लंबा व पतला और खाने में अत्यंत स्वाद से परिपूर्ण होता है। धान की इस प्रजाति से 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन हांसिल किया जा सकता है।
धान की पूसा बासमती-834 वेरायटी
यह 125 से 130 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म कम उपजाऊ मिट्टी और कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है और पत्ती झुलसा रोग के प्रति भी अपेक्षाकृत अधिक प्रतिरोधी है। यह किसानों को 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है।
चावल की पूसा बासमती PB-1509 किस्म
कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए यह किस्म एक बेहतरीन विकल्प है। इसके पौधे अपेक्षाकृत बौने होते हैं जिससे उत्पादन अच्छा होता है और गिरने का खतरा कम रहता है। यह किस्म कम लागत में अधिक लाभ देने के लिए जानी जाती है और किसानों के बीच इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
धान की किस्म स्वर्ण शुष्क
स्वर्ण शुष्क धान कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्म है। धान की इस किस्म में रोग और कीट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है। यह कम ऊंचाई वाली धान की किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है। यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है। यह धान 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है।
किस्म स्वर्ण पूर्वी धान-1
स्वर्ण पूर्वी धान 1, आईसीएआर पटना द्वारा विकसित एक उन्नत धान की किस्म है, जो कम पानी वाले क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देती है। यह सूखा प्रतिरोधी है और सीधी बुवाई के लिए भी उपयुक्त है। यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो 115 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। यह झोंका, भूरी चित्त, पर्णच्छद अंगमारी और पर्णच्छद विगलन जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है। जिस वजह से यह किस्म 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है।