गेहूं की दर में आ सकती है गिरावट, सरकार कर सकती है ओपन मार्केट सेल स्कीम लागू
Farmers Income : देश में महंगी दर में बेचने के लिए काफी किसानों ने अपना गेहूं स्टॉक में लगा लिया था। परंतु उन किसानों के इस फैसले पर सरकार पानी फेरने का प्लान बना रही है। सरकार महंगाई को कम करने के लिए अक्टूबर 2024 में ओपन मार्केट सेल स्कीम के अंतर्गत गेहूं को खुले बाजार कम कीमत पर बेचने जा रही है। इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि किसानों ने अच्छे दाम की उम्मीद से गेहूं को सरकारी क्रय केंद्र में बेचने की बजाए अपने पास स्टॉक में लगा ली थी।
ग्वालियर के एक किसान ने अच्छे भाव की उम्मीद से अपने पास करीबन 170 क्विंटल गेहूं स्टॉक कर रखा है। परंतु सरकार मिडिल वर्ग के लोगों को महंगाई की मार से राहत दिलाने के लिए अक्टूबर 2024 से गेहूं को ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत सस्ते रेट में बेचने का प्लान बना रही है। जिससे ग्वालियर के किसान जैसे लाखों किसानों को काफी आर्थिक हानि होगी। ऊंचे दाम में बेचने की उम्मीद से किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं देने से मना कर दिया था। उन्हें अब सरकार इस प्लान से काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। इस परियोजना की वजह से काफी किसान सरकार के खिलाफ रोष में है।
रबी सीजन 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने के लिए करीबन 36,97,784 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। परंतु मार्केट में ज्यादा भाव मिलने की वजह से 21,06,394 किसानों ने ही बिक्री की। बाकी किसानों ने अच्छे भाव मिलने की उम्मीद से गेहूं को स्टोर कर लिया था, परंतु अब उनको सरकार की OMSS स्कीम के तहत काफी आर्थिक हानि होने वाली है। केंद्र सरकार के इस फैसले से शॉर्ट टर्म के लिए दाम कम हो सकते है।
गेहूं का भाव कितना है
फिलहाल देश में गेहूं का औसतन थोक भाव 2784 रुपए प्रति क्विंटल है तथा अधिकतम भाव 4600 रुपए प्रति क्विंटल और न्यूनतम भाव 2100 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। दूसरी ओर रिटेल प्राइस 30 अधिकतम 51 तथा न्यूनतम 22 रुपए प्रति किलो रहा है।
सरकार किस भाव पर बेचेने जा रही गेहूं
सरकार फिलहाल 55 टन गेहूं को सेल करने वाली है। जबकि वित्त वर्ष में करीबन 16 टन गेहूं की स्कीम के तहत बिक्री हुई थी। इस वर्ष केंद्र सरकार गेहूं को 2325 रुपए प्रति क्विंटल बेचने वाली है। जबकि ट्रांसपोर्टेशन रखरखाव तथा अन्य मानकों को जोड़ लिया जाए तो खुद की आर्थिक लागत 3200 क्विंटल आती है।
2325 रुपए प्रति क्विंटल पर बड़े व्यापारियों और रोलर फ्लोर मिल्स को सरकार से गेहूं मिलेगी तो वह किसानों से क्यों ₹3000 क्विंटल से अधिक कीमत पर गेहूं खरीदेंगे। जिस वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। गेहूं निर्यात पर 13 में 2022 से लगी रोक के कारण भी किसान भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं।