Wheat: गेहूं की नई किस्म तैयार, किसानों को देगी प्रति हेक्टेयर 15-20 किवंटल का ज्यादा उत्पादन
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में मौसम का प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिलता है और तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वहीं अगर सर्दी के मौसम की बात करें तो तापमान तीन डिग्री से नीचे तक पहुंच जाता है। जिसका प्रभाव धान की फसल के उत्पादन में सबसे अधिक देखने को मिलता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई, दो प्रजातियां उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ सीजन के एक पखवाड़े में करीबन 20 दिन की बचत करेंगे।
कृषि वैज्ञानिक धान और गेहूं की कई किस्म पर शोध कर रहे हैं। शोध निदेशक प्रो. एसडी मेकार्टी की देखरेख में इस शोध को किया जा रहा है। विभाग ने धान के साथ-साथ गेहूं और धान की दो नई किस्म को भी विकसित किया है। गेहूं की नई किस्म एएआई W–52 और धान की किस्म सुहानी धान–7 से शानदार पैदावार मिलने वाली है।
नई किस्मों की खासियत
गेहूं प्रजनक वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूं की किस्म एएआई W–52 किसानों को शानदार उत्पादन देने वाली है। इस किस्म की खास बात यह है कि कम सिंचाई और देरी से बुवाई पर भी उपयुक्त रहती हैं। गेहूं की ये किस्म 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसका पौधा 95 से 98 सेंटीमीटर लंबा होता है। अक्सर परंपरागत प्रगति किस्म में पकाने का समय 115 से 130 दिन का लगता है। गेहूं की यह किस्म आपको औसतन 43.94 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देगी। वहीं सामान्य गेहूं का उत्पादन आपको 23 से 26 क्विंटल मिलता है।
वहीं अगर धान की सुहानी धान–7 किस्म सिंचाई वाले क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। धान की किस्म 125 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके पौधे की ऊंचाई 85 से 95 सेंटीमीटर तक होती है। धान की परंपरागत किस्म 22 क्विंटल तक उत्पादन देती है, वही यह किस्म आपको 44.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देगी।
प्रयागराज में उत्पादन
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में पिछले साल 2.11 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई थी। जिसका उत्पादन करीबन 4.50 लाख क्विंटल रहा। वहीं धान की फसल की बात करें तो 1.71 लाख हेक्टेयर में खेती की गई थी। जिसका उत्पादन 3.70 लाख क्विंटल हुआ।
प्रो. एसडी मेकार्टी ने बताया कि प्रयागराज के मौसम को देखते हुए शूआउटस ने इन दोनों किस्म को तैयार किया है। इन दोनों का उत्पादन विपरीत मौसम में भी शानदार रहने वाला है। इसके साथ-साथ इसके उत्पादन में खर्च भी काम करना पड़ेगा।