चित्तौड़गढ़ में चंबल नदी के मीठे पानी से पके तरबूज बने जम्मू कश्मीर की पहली पसंद
Rajasthan Hindi News : जम्मू कश्मीर तक के लोग राजस्थान के इस फल के दीवाने हो रहे हैं। यह फल खाने में बेहद रसीला और मीठा। गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की पूर्ति होती हैं। गर्मी के मौसम में इस फल की बिक्री में काफी ज्यादा हो जारी हैं।
Rajasthan Farmers : आज के समय में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ रहा है। खेती करने का पैटर्न बदलकर किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। राजस्थान के इस जिले में किस तरबूज और खरबूजा की खेती करते हैं। चंबल के मीठे पानी की तरबूज और खरबूज जम्मू कश्मीर तक ट्रांसपोर्ट किए जाते हैं। इस इलाके में जलस्तर काटने से बड़ी भारी संख्या में किस खरबूज और तरबूज की खेती करते हैं।
गिरा बाँध का जलस्तर
राजस्थान की रावतभाटा राणा प्रताप सागर का जलस्तर नीचे जानने के बाद ज्यादा इलाके में किस बड़ी सतर पर पेटाकाश्त की खेती करते हैं। इस इलाके के तरबूज और खरबूज के देश के कोने-कोने में लोग दीवाने हैं।
किसानों की लहलहाती फसलें गांधी सागर बांध में पानी छोड़ने की वजह से खराब हो जाती थी। किसानों को आर्थिक नुकसान का भी ज्यादा उठाना पड़ता था। पिछले कुछ सालों में किसानों ने खेती का पैटर्न बदलकर तरबूज और खरबूज की खेती शुरू कर दी। किसने की आर्थिक स्थिति खेती के पैटर्न बदलाव से मजबूत हुई है।
भीलवाड़ा जिले के बदनोर इलाके के किसान भीलवाड़ा जिले से जावदा तरबूज-खरबूज की खेती करते हैं, जो तीन महीने तक चलती है। यह वर्षों से भीलवाड़ा जिले में बनास किनारे खेती की जाती है। किसानों को पेटा काश्त भूमि सालाना भुगतान पर मिलती है। इस वर्ष 800 बीघा तरबूज-खरबूज लगाए गए हैं।