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उत्तर प्रदेश के किसानों की हुई मौज, गेहू-धान की नई प्रजाति हर मौसम में देगी शानदार उत्पादन

उत्तर प्रदेश में धान और गेहूं की फसलों पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। जिसका सबसे अधिक असर पैदावार पर पड़ता है। किसानों की इसी समस्या को हल करने के लिए प्रयागराज में स्थित से कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान और गेहूं की एक विशेष प्रजाति तैयार की है।
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उत्तर प्रदेश के किसानों की हुई मौज, गेहू-धान की नई प्रजाति हर मौसम में देगी शानदार उत्पादन 

New variety of rice-wheat : भारत में मौसम के हिसाब से तापमान बदलता रहता है। वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां पर अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जिससे राज्य में में धान और गेहूं की फसलों पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। जिसका सबसे अधिक असर पैदावार पर पड़ता है। किसानों की इसी समस्या को हल करने के लिए प्रयागराज में स्थित से कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान और गेहूं की एक विशेष प्रजाति तैयार की है। जो किसानों के लिए हर मौसम में कारगर साबित होगी। 

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर सैमुअल दीपक कांटे में बताया कि उत्तर प्रदेश के किसानों को केंद्र में रखते हुए यहां के मौसम अनुसार धान और गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए नई प्रजाति तैयार की गई है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश का का तापमान गर्मी के मौसम में 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो वहीं सर्दियों में 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। 

मौसम में इतना बदलाव होने के कारण फसलों पर इसका गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। जिससे उत्पादन में कमी आती है। किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए धान और गेहूं की नई किस्में विकसित की गई है। धान की नई प्रजाति सुहानी 7 और गेहूं की एआई w-52 को तैयार किया गया है। अब उत्तर प्रदेश के किसान इस नई प्रजाति की बुवाई करके उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते है। 

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि परंपरागत फसलों को तैयार होने में करीबन 120 से 130 दिन का समय लगता है। वही इस प्रजाति की फसल 110 दिन में तैयार हो जाएगी। इससे लेट होने पर भी पैदावार में कमी नहीं देखने को मिलेगी। इस प्रजाति की पैदावार का समय परंपरागत प्रजातियों की अपेक्षा 20 दिन पहले है। 

सुहानी 7 धान की किस्म प्रति एकड़ करीबन 44 क्विंटल का उत्पादन दे सकती है। वहीं अगर गेहूं की किस्म की बात करें तो यह 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है। जो अन्य प्रजातियों की अपेक्षा करीबन डेढ़ गुना है। इस प्रजाति की फसलें तेज हवा में भी नहीं गिरती है। इस गेहूं फसल की औसतन ऊंचाई 90 सेंटीमीटर तक चली जाती है और धान की ऊंचाई 85 से 90 सेंटीमीटर तक पहुंच जाती है। 

इस प्रजाति की किस्म विपरीत मौसम में भी दोगुना उत्पादन देने में सक्षम है। वही समय की बचत के साथ-साथ किसानों को शानदार उत्पादन मिलेगा। इस साल से उत्तर प्रदेश के किसानों को बीज उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इस बीज की किस्म को केंद्र से प्रमाणीकरण के लिए भेज दिया गया है। 

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