उड़द और मूंग में बढ़ा इन रोगों का खतरा, समय रहते करें फसलों में इलाज
Whitefly Bemisia Tabaci :देश में फिलहाल खरीफ फसलों का सीजन चल रहा है। दलहन की फसल खरीफ सीजन में अपना अहम स्थान रखती है। इस समय बरसाती मौसम में दलहन फसलों को कीट तथा रोगों से बचाना आवश्यक है। अधिक बारिश होने की वजह से खेत में ज्यादा पानी भरने के कारण फसल में बीमारियां तथा कीट का प्रकोप बढ़ने का खतरा बना रहता है। चलिए जानते हैं रोगों से बचने के लिए उपाए...
Moong And Urad Crops : भारत देश में काफी इलाकों में दलहन की फसलों की बंपर बुवाई की जाती है। दलहन फसल एक ऐसी फसल है जो कम पानी वाले इलाके में उपयोग की साबित होती है। दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस समय बरसात के मौसम में दलहन फसलों में बीमारियों का खतरा अधिक बन जाता है। इसलिए किसान लगातार फसलों का निरीक्षण करते रहे।
मूंग तथा उड़द की फसल में फिलहाल दो कीट रोग पीला चितकबरी व मौजेक रोग तथा सर्कोस्पोरा पती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है। इस बार अधिकतर बारिश के चलते जिन खेतों में ज्यादा देर तक पानी भरा रहा है। उनमें इस रोग का खतरा अधिक है। इसे बचाने के लिए कृषि का वैज्ञानिक अनेक तरह के उपाय बताएं है।
मूंग तथा उड़द का बिजाई क्षेत्रफल
भारतीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के के मुताबिक इस बार सीजन में दलहन फसलों की बंपर बुवाई हुई है। इस बार के आंकड़ों के मुताबिक दाल की बुवाई 33 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। हालांकि पिछले साल इसी अवधि तक 29 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसके अतिरिक्त उड़द दाल की बुवाई 28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। वहीं अन्य सभी दलहन फसलों का रकबा मिलकर 118 लाख हेक्टेयर हो गया है। जो पिछले सीजन के मुकाबले 7 लाख हेक्टेयर अधिक है।
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने जारी किया अलर्ट
यूपी सरकार के कृषि विभाग की तरफ से जारी अलर्ट के मुताबिक उर्दू और मूंग फसल में पीला चितवर्ण रोग जिसे पीला चितकबरी या मोजेक रोग भी कहा जाता है जिसका प्रकोप बड़ा हुआ है। इस रोग से प्रभावित पौधे के पत्तों पर पिले सुनहरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। रोग से ज्यादा प्रभावित होने पर पेट पूरी तरह से पीले पड़ जाते हैं। यह एक संक्रमित रोग है जो सफेद मक्खियों के जरिए फैलाव करता है। सफेद मुखिया पौधों पर इस रोग को खिलाता है और धीरे-धीरे पुरी फसल इसकी चपेट में आ जाती है। पत्तियों की चिनाई खत्म हो जाती है। पौधे का विकास रुकने लगता है।
किस तरह करें रोकथाम
पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचने के लिए बिजाई जुलाई के पहले सप्ताह तक कतारो में करनी चाहिए।
शुरुआती समय में ही रोग से प्रभावित पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
खेत में अधिक पानी भरने पर बाहर निकासी करें रोग से ग्रस्त पौधे को उखाड़कर खेत से दूर फेंकना चाहिए या जला देना चाहिए।
पेस्टिसाइड का उपयोग
किसान फसल को बचाने के लिए डायमीथोएट 30 EC कीटनाशक 1 ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करीब 600 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें.
या फिर किसान ऑक्सिडिमेटान- मिथाइल 25% EC कीटनाशक को 1 ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
किसान ट्रायजोफॉ-40 ईसी 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल में छिड़काव करें.
थायोमेथोक्साम-25 डब्लूजी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 3 बार छिड़काव करें.
डायमेथोएट-30 ईसी, 1 मिली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 2 या 3 बार 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
धब्बा रोग का प्रकोप बढ़ा
कई ज्यादा बारिश वाले राज्यों में मूंग और उड़द फसल में सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से फसल को बचाने के लिए किसान ध्यान दें कि खेत में पौधे घने नहीं होने चाहिये। इस रोग के लक्षण दिखने पर किसान मेंकोजेब 75 डब्लूपी कीटनाशक को 2.5 ग्राम लीटर या फिर कार्बेन्डाइजिम 50 डब्लूपी 1 ग्राम की कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में घोल 2-3 बार खेत में छिड़काव कर लें।