किसानों के लिए रुपयों का ATM है ये फसल, 90 दिन में पकने वाली खेती से किसान होंगे मालामाल
Mentha ki Kheti : कई लोग लंबे समय तक के नौकरी करते हैं. या तो उनकी सैलरी कम होती है या वह ज्यादा पैसा कमाने के बारे में सोच रहे होते हैं. आप नौकरी के साथ-साथ किसी भी बिजनेस की तलाश कर रहे है. तो हम आपके लिए बेहतर आइडिया लेकर आए हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं मेंथा की खेती के बारे में. जिसकी गिनती हर्बल प्रोडक्ट के रूप में की जाती है. कोरोना काल के बाद से ही विश्व के सभी देशों में आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल प्रोडक्ट की मांग बढ़ती चली गई. और यह मांग अब भी आए दिन बढ़ रही है. इसी वजह से किसान अब पारंपरिक खेती के अलावा हर्बल फसलों की और ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. यह हर्बल खेती किसान की आमदनी को तीन गुना तक बढ़ा सकती है.
पारंपरिक खेती बार-बार बुवाई करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमजोरी हो जाती है. परंतु यह हर्बल फैसले मिट्टी की सेहत को मजबूत बनाती है. साथ ही पारंपरिक खेती के अलावा इन हर्बल फसलों से आमदनी भी किसान को ज्यादा मिलती है. भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , गुजरात और पंजाब जैसे कई राज्यों के किसान हर्बल खेती की तरफ जोर दे रहें है. उत्तर प्रदेश यह बंदायू, रामपुर, बरेली, बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकरनगर और लखनऊ के खेतों में किसान इस फसल की बुवाई करके मुनाफा कमा रहे हैं.
भारत मेंथा के तेल का बड़ा उत्पादक देश
मेंथा की खेती के नाम अलग-अलग है. क्योंकि जहां भी इसकी बुवाई की जाती है. वहां इसको अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. इसको पिपरमेंट, पुदीना, कपूरमिंट, सुंन्धी तपत्र के नाम से भी पुकारा जाता है. इसका इस्तेमाल दावों तेल ब्यूटी प्रोडक्ट टूथपेस्ट जैसी चीजों में इस्तेमाल किया जाता है. भारत मेंथा के तेल का बड़ा उत्पादक देश है. यहां से तेल निकाल कर दूसरे देशों में भेजा जाता है. मेंथा की फसल 3 महीने में पककर तैयार हो जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच वैल्यू 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
इस फसल की खेती फरवरी से लेकर मध्य अप्रैल तक रोपाई और जून में इस फसल की कटाई होती है. मेंथा की फसल को नमी की जरूरत पड़ती है जिसके चलते इसमें हर 8 दिन बाद सिंचाई की जरूरत पड़ती है. जून में साफ मौसम के दौरान इस फसल की कटाई कर लेना चाहिए. 1 एकड़ में मेंथा की फसल लगाने के लिए 20000 से लेकर 25000 रुपए तक का खर्च होता है. बाजार में मेंथा का भाव 1000 से लेकर ₹1500 किलो के आसपास रहता है. 3 महीने में इस फसल से किसान तीन गुना कमाई कर सकते हैं.