धान से खरपतवार गायब कर देगी ये 50 रुपए की दवा, बस रखें इन बातों पर गौर
Damage Caused By Weeds In Paddy : किसानों के लिए धान की फसल में खरपतवार का होना एक महत्वपूर्ण समस्या हैं। ये खरपतवार फसल को मिलने वाले पोषक तत्वों, पानी और सूरज की रोशनी को अपनी तरफ खींच लेते हैं, जिससे धान की फसल में होने वाली वृद्धि और उत्पादन कम हो जाते हैं। धान के पौधों को खरपतवार कमजोर कर देते हैं। पौधों की वृद्धि को रोकने के कारण धान का उत्पादन कम हो जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के डॉ. एनसी त्रिपाठी ने खरपतवारों को रोकने के लिए जानकारी दी और कहा कि धान की खेती में चौड़ी पत्ती और सकरी पत्ती वाले खरपतवार उगते हैं। इसकी वजह से धान की क्वालिटी में काफी असर पड़ता है, जिसके कारण धान की पैदावार में गिरावट आती है। खरपतवारों की वजह से धान की लागत में इजाफा होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों और श्रम की आवश्यकता बढ़ जाती है। ऐसे में खरपतवारों का सही समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है।
छिड़काव के बाद, उगने वाले खरपतवार
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने कहा कि धान की रोपाई के दौरान खरपतवार नाशक दवा का उपयोग किया जाना बेहद जरूरी है। रोपाई के 24 से 72 घंटे बाद खेत में यह दवा डाली जाती है। जिससे खरपतवार नहीं उगते, लेकिन खरपतवार नाशक दवा लगाने पर भी कुछ खरपतवार उग जाते हैं। इसमें सकरी पत्ती और चौड़ी पत्ती के खरपतवार होते हैं।
इस दवा का करें, छिड़काव
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि चौड़ी पत्ती के खरपतवारों को रोकने के लिए 15 से 20 दिनों के पश्चात, जब खरपतवार दो से तीन पत्ती के हो जाएं, उस वक़्त खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए। जिसके लिए मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 10% और क्लोरीमुरान 10% को 100 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए छिड़काव करें। 8 से 10 ग्राम इस दवा का उपयोग करें। धान के पौधों को ज्यादा दवा देने से पौधों को हानि पहुंच सकती है। इस दवाई कि क़ीमत लगभग 50 रुपए है। जिसको किसान किसी भी रजिस्टर्ड दुकान से खरीद सकते है।
24 घंटे पश्चात लगाएं, पानी
इस दवा का छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी होना अनिवार्य है। दवा छिड़कने के 24 घंटे के पश्चात धान की फसल में पानी लगाना होता है। इस दवा की मदद से खरपतवार एक सप्ताह में पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं।
देसी तरीके से भी होती है, रोकथाम
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने जानकारी दी कि खरपतवारों को रासायनिक तौर पर रोकने के बजाय देसी तरीके से भी इसको रोका जा सकता है। किसान खरपतवारों को मारने के लिए धान की फसल में निराई-गुड़ाई का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। जिसके माध्यम से पौधों के बीच वायु संचार में बढ़िया होता है और पौधों की पैदावार में वृद्धि होती है।