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धान की ये बाढ़ रोधी किस्में, जलभराव में रहेगी सुरक्षित, उत्पादन भी बेहतर

Best Variety Of Paddy : पीछे हुई अधिक बरसात की वजह से किसानों को धान की फसलों में काफी नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर किसने की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है। उनके लिए आज हम एक ऐसी किस्म की बात करने जा रहे हैं जो है पूरी तरह से  प्रभावित क्षेत्र के लिए। इन वैरियटीयों को बाढ़ रोधी भी कहा जाता है।

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धान की ये बाढ़ रोधी किस्में, जलभराव में रहेगी सुरक्षित, उत्पादन भी बेहतर

Paddy Crop : पहले तो बारिश ने नहीं आकर किसानों को सताया फिर अचानक इतनी बारिश हुई कि किसानो की धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। उत्तर प्रदेश में  कुछ जगहों पर किसानों की फसल बाढ़ की चपेट में आने से पूरी तरह नष्ट हो गई है। उन किसानों को राहत प्रदान करने के लिए धान की कम समय में पकने वाली तथा बाढ़ रोधी किशन के बारे में बता रहे हैं। जानिए कौन-कौन सी किस्म बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में कारगर होंगी।

नियामतपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया  की धान की स्वर्ण तथा जल लहरी वैराइटीज 15 से 20 दिन तक पानी में डूबे रहने के बावजूद भी नष्ट नहीं होती है। इनकी बजाई किसान लेट भी कर सकते हैं।

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या ने स्वर्णा तथा जल लहरी नाम की दो वैरायटी तैयार की है। यह 15 से 20 दिन तक पानी में डूबे रहने के बावजूद भी बंपर पैदावार देती है।

डॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया कि बहुत से ऐसे स्थान है जहां हर साल बाढ़ जैसी स्थिति की परेशानी आती रहती है। ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में दूसरी फसल नहीं उगाई जा सकती। उन इलाकों में किसान खरीफ सीजन में स्वर्णा तथा जल लहरी धान की किस्म लगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। इस किस्म की यह विकास बात है कि इसकी कटाई पानी में भी की जा सकती है।

डॉक्टर एमपी गुप्ता ने बताया कि  स्वर्णा तथा जल लहरी किशन 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन दे सकती है। लेट रोपाई की जाने वाली यह वैरायटी किसान अभी भी लगा सकते हैं। कई इलाकों में तो यह किस्म 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है। इन वैरियटयों के पकाने की अवधि 120 से 130 दिन है।

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