सरसों उत्पादन में राजस्थान की 50 फीसदी हिस्सेदारी, टैक्स हटा तो तेल हो जाएगा सस्ता
Mustard Oil Price : राजस्थान जिले में सरसों का उत्पादन काफी बड़ी मात्रा में किया जाता है. देश में सरसों उत्पादन में राजस्थान की 50 फिसदी तक हिस्सेदारी है. अगर राज्य व केंद्र सरकार की तरफ से तेल इकाइयों पर टैक्स हटा दे तो जनता को सस्ते दाम पर खाने का तेल मिल सकेगा.
Rajasthan News : राजस्थान में बहुत बड़ी मात्रा में सरसों का पैदावार किया जाता है. सरसों के उत्पादन में देश में राजस्थान की 50 फिसदी ही हिस्सेदारी है। राजस्थान का टोंक जिला सरसों उत्पादन में तीसरे नंबर पर आता है। केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से तेल इकाइयों पर कई प्रकार के टैक्स लगाए जाते हैं. यह टेक्स तेल इकाइयों को उनकी सीमाओं को बाधित कर रख देते हैं. अगर केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से यह टेक्स हटा दिए जाए तो आम जनता को सरसों का तेल कम कीमत पर उपलब्ध हो जाएगा. आम जनता की सोवियत के साथ-साथ तीन इकाइयों को भी इसका लाभ मिल सकता है.
सरसों उत्पादक राज्य का दर्जा
राजस्थान को केंद्र सरकार सरसों उत्पादक राज्य का दर्जा नहीं दे रही है. इसी वजह से राजस्थान के सरसों पैदावार करने वाले किसान, मंडी व्यापारी और तेल मिल मालिकों को सरकारी फायदा नहीं मिल रहा है. अगर केंद्र सरकार राजस्थान को सरसों उत्पादक राज्य घोषित कर विशेष बजट प्रदान करें तो किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी.
टोंक के सरसों तेल की मांग प्रदेश के साथ पांच राज्यों में बढ़ी
गुणवत्ता के चलते टोंक के सरसों तेल की मांग प्रदेश के साथ पांच राज्यों में बढ़ रही है। जिले के कई उद्योग राज्य को छोड़कर पश्चिम बंगाल में सरसों तेल बेचते हैं। लेकिन हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का नबर राजस्थान के बाद सरसों उत्पादन में आता है। गुणवत्तापूर्ण चलते टोंक जिले के तेल की बहुत मांग है। करीब 6 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष तेल निर्यात होता है। निवाई भी औद्योगिक हब बन रहा है। लेकिन जिले में सिर्फ 88 ऑयल मिलते हैं।
स्वास्थ्य के लिए घातक पॉम ऑयल
उद्योगपतियों का कहना है कि अगर निर्यात पर रोक हट जाएगी, तो किसानों को उचित मूल्य मिलेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ जाएंगे। व्यापारियों के एक्सपोर्ट लाइसेंस का भी इस्तेमाल होगा। रिफाइंड तेल कई तेलों से बनाया जाता है। उद्योगपतियों का कहना है कि इस तेल को बनाने में केमिकल का उपयोग किया जाता है। रिफाइंड का फेट 65 प्रतिशत है। पहले, पॉम ऑयल को खाद्य सामग्री में कोई अनुभव नहीं था। अब इससे खाद्य उत्पाद बनाए जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसके बावजूद, सरकारी स्कूलों में बच्चों के पोषाहार में यह तेल स्वीकृत है। सरकार इसकी जगह सरसों तेल के आदेश जारी करे तो व्यापारी और किसान लाभ उठाएंगे।
ढाई से तीन लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती
दूसरी ओर, बीसलपुर बांध और जिले के अन्य नहरी क्षेत्रों से सिंचाई होने पर लगभग ढाई से तीन लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती होती है। जबकि बुवाई का चार लाख का कुल लक्ष्य है। एक चौथाई में सरसों के अतिरिक्त अन्य फसलें हैं। तेल, जिले की सरसों की दाने में लगभग 42 प्रतिशत होता है। यह प्रशंसनीय हैटोंक की ऑयल मिल से भी कई ब्रांड तेल खरीदते हैं। इसे अपने उत्पादों में शामिल करते हैं। इसके अलावा टोंक जिले का ब्रांड बहुत लोकप्रिय है। इसकी मांग भी अब बढ़ रही है।