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पूसा की एडवाइजरी: धान में नुकसान कर सकता है ब्राउन प्लांट हॉपर किट, रोकथाम के लिए करें ये काम

Paddy Cultivation :धान की फसल का रोपाई का चरण लगभग किसानों ने पूरा कर लिया है। फसल की रोपाई के बाद किसानों को कड़ी निगरानी करनी पड़ती है। किसानो द्वारा धान में समय-समय पर खाद देना तथा सिंचाई करने का काम चल रहा है। धान की फसल में अनेक तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है। जिसे लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने एडवाइजरी जारी की है।

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पूसा की एडवाइजरी: धान में नुकसान कर सकता है ब्राउन प्लांट हॉपर किट, रोकथाम के लिए करें ये काम

Dhan Ki Kheti : भारत में अधिकतर रकबे में धान की खेती की जाती है। लगभग राज्यों में धान की रोपाई का काम पूरा कर लिया गया है। धान की फसल में रोपाई के बाद कड़ी निगरानी रखनी पड़ती है। किसान फसल को कीट व रोगों से बचाने के लिए लगातार देखभाल कर रहे हैं। किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है।

कृषि वैज्ञानिकों धान की फसल बोने वाले किसानों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि इस समय धान फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर का आक्रमण हो सकता है। इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौधे के निचले भाग के स्थान पर मच्छर नुमा किट का निरीक्षण करें। उन्होंने कहा इस वक्त धान की फसल वृद्धि की स्थिति में है। इसलिए फसल में किट तथा रोग की देखभाल करनी जरूरी है। इन सभी कीटों की देखभाल के लिए किसान खेत में फेरामाइन ट्रैप लगाएं। किसान 1 एकड़ में 3-4 ट्रैप लगाए।

2 महीने रहता है बीमारी का खतरा

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ब्राउन प्लांट ऑफर किट का प्रकोप सितंबर से लेकर अक्टूबर के बीच इन दो महीना में रहता है। किट का जीवन चक्र 20 से 25 दिन का होता है। कीट और बच्चे दोनों ही पौधे के ताने तथा पत्तियों से रस चूसते हैं। ज्यादा रस निकालने की वजह से पत्तियों के ऊपरी भाग पर काले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तप हो जाती है। ऐसा होने पर पौधे भोजन कम बनाते हैं और पौधों का विकास रुक जाता है। स्पीड का रंग हल्का भूरा होता है। स्पीड से प्रभावित फसल को हॉपर बर्न कहते है।

इस तरह से फसल को बचाएं

कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को कहा फसल में बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहे। बार-बार कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर से परामर्श लेते रहे। पूरी जानकारी लेने के बाद ही कीटनाशक का उपयोग करें। मक्खी से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर खेत से बाहर गहरे गड्ढे में दबा दें। धान के खेत में अनेक जगहों पर गुड तथा चीनी के साथ कीटनाशक का घोल बनाकर छोटे कप या किसी बर्तन में रख दे। इसके बाद यदि किट का प्रभाव ज्यादा हो तो इमिडाक्लोप्रिड 0.3 प्रति लीटर की दर से छिड़काव बीमारी के नष्ट न होने तक करें।

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