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प्रधानमंत्री मोदी ने गन्ने की 4 नई किस्में की जारी, बदलते मौसम में भी किसानों को देगी कई फायदे

Climate-Resilient Sugarcane Varieties :भारत में जलवायु में बदलाव के कारण पिछले काफी सालों से किसान चुनौतियों का सामना करते आ रहे हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 61 फसलों की 109 जलवायु अनुकूल तथा जैव सशक्त किस्म को लॉन्च किया है। इन किस्म में गन्ने की भी कुछ किस में शामिल है। चलिए जानते हैं इनकी उपज तथा खासियत के बारे में।

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प्रधानमंत्री मोदी ने गन्ने की 4 नई किस्में की जारी, बदलते मौसम में भी किसानों को देगी कई फायदे

Sugarcane Varieties : भारत भारत को एक कृषि प्रधान देश माना जाता है। यहां पर जलवायु में बदलाव के कारण पिछले काफी सालों से किसानों को अपनी फसल में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह भारत सरकार के लिए एक अहम मुद्दा है। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 61 फसलों की 109 वैरियटयों को जारी किया है। इन फसलों में तापमान और वर्षा के उतार चढ़ाव के प्रति सहनशीलता ज्यादा होती है तथा यह पानी और पोषक तत्वों के उपयोग में भी कारगर है।

बदलती जलवायु की परेशानियों से निपटने के लिए सरकार ने किसानों को लिए सुरक्षा जाल तैयार करते हुए 109 जलवायु अनुकूल तथा जैव सशक्त की किस्मों को लागू किया है। इसमें गन्ने की फसल भी शामिल है। जलवायु परिवर्तन के समय में गन्ने की फसल पर विपरीत प्रभाव को कम करने के लिए ICAR के संस्थानों ने जलवायु अनुकूल किस्म को विकसित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में नई दिल्ली में स्थित IARI, पूसा में ICAR द्वारा  जलवायु अनुकूल और जैव सशक्त किस्म का विमोचन किया है।

गन्ने की जलवायु अनुकूल वैरायटी

भारत में चीनी उद्योगों की स्थापना तेजी से हो रही है। गन्ने का प्रयोग अब चीनी तक की सीमित नहीं रहा बल्कि ईंधन क्षेत्र में इससे एथेनॉल उत्पादन भी किया जा रहा है। वर्तमान में खेती की जा रही वैरायटी  CO 238 नई समस्याओं से ग्रस्त है। परेशानियों का हल निकालने के लिए ICAR अरे जलवायु अनुकूल और जैव सशक्त गन्ने की चार नई किस्म की खोज की है। जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंजूर कर दिया।

नई वैरायटी कर्ण 17

यह एक जलवायु अनुकूल और जैव सशक्त के समय। यह देश के राज्य  हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों के लिए उपयुक्त है। यह वैरायटी 330 दिन से लेकर 360 दिन में पैक कर 91.48 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकती है। इसमें रस की मात्रा ज्यादा होने के कारण 18.38 फ़ीसदी चीनी की मात्रा होती है। लाल सडन रोग तथा तना छेदक जैसी कई बीमारियों का प्रभाव कम पड़ता है।

किस्म कोलख 16202 

कोलख 16202 जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त किस्म है, जिसे भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म अगेती है और लगभग 10 महीने में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 93.2 टन है और चीनी की रिकवरी 17.74 प्रतिशत है. यह सूखे और लाल सड़न के प्रति प्रतिरोधी है. इसे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है.

जलभराव क्षेत्र में कोलख 16470

कोलख 16470 एक जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त किस्म है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम के लिए उपयुक्त है. इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 82.5 टन है और इसमें चीनी की मात्रा 17.37 प्रतिशत है. यह किस्म जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए बेहतर है और लाल सड़न और स्मट रोग के प्रति प्रतिरोधी है. यह गन्ने के मुख्य कीटों के हमलों के प्रति कम संवेदनशील है.

किस्म CoPb 99 

गन्ना की CoPb 99  किस्म एक जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त किस्म है, जिसे पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना के गन्ना शोध केंद्र कपूरथला के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है. यह जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्म है, जिसे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सिंचित क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है. इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 90.1 टन है और चीनी की मात्रा 18.01 प्रतिशत है. यह तना छेदक और चोटी बेधक कीटों के हमलों के प्रति कम संवेदनशील है और लाल सड़न रोग के प्रति भी प्रतिरोधी है.

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