home page

कॉटन की फसल में गुलाबी सुंडी से किसानों को हो रहा नुकसान, समय रहतें करें बचाव

BT Cotton Crop :भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के अनेकों राज्यों में कपास की खेती की जाती है। जिसमें मध्य प्रदेश का खरगोन अहम स्थान रखता है। यहां कपास का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।

 | 
कॉटन की फसल में गुलाबी सुंडी से किसानों को हो रहा नुकसान, समय रहतें करें बचाव

Crisis On Cotton Crop : भारत के राज्य मध्य प्रदेश जिले खरगोन में कपास की खेती सबसे अधिक की जाती है। यहां खरीफ सीजन में करीबन 2 लाख हैक्टेयर से ऊपर भूमि में कपास की फसल बोई जाती है। किसी बीमारी या बे मौसम बरसात की वजह से उत्पादन में कमी आ जाती है। जिसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है। 

इन सभी को ध्यान में रखते हुए खरगोन में देसी कपास के बाद बीटी कॉटन की खेती शुरू की गई थी। परंतु अब पिछले साल से बीटी कपास में भी गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है।

खरगोन के कृषि वैज्ञानिक केंद्र के वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने बताया कि देसी कपास में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के बाद बीटी किस्म तैयार की गई थी। हालांकि अब  किसानों की किसी गलती या मौसम की वजह से इस पर भी गुलाबी सुंडी का प्रकोप आना शुरू हो गया है। किसान समय रहते इस बीमारी से पहचान कर बचाओ के उपाय अपनाए तो उत्पादन में गिरावट कम होने से बचा जा सकता है।

बीमारी आने का कारण

गुलाबी सुंडी के प्रकोप का मुख्य कारण यह है कि किसानों को बीटी कपास के बीज के पैकेट के साथ नॉन बीटी कपास का बीज दिया जाता था, ताकि सुंडी का प्रकोप नॉन बीटी पर आये और बाकी फसल बीमारियों से बची रहे। परंतु किसान इसे खेत में बोने कि बजाए फेंक देते थे। जिसका परिणाम यह है कि बीमारियां सीधी फसल पर अटैक करती है। इस साल काफी जगह पर अभी से गुलाबी सुंडी के प्रकोप की खबरें सामने आ रही है इसलिए बचाव जरूरी है।

गुलाबी सुंडी की पहचान

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान प्रति एकड़ के हिसाब से तीन फेरोमेन ट्रैप लगाए और समय-समय पर निगरानी करते रहे। फेरोमेन लगाने के तीन दिन बाद यदि तीनों में आठ तीलिया आती है तो यह सीधा गुलाबी सुंडी के प्रकोप का संकेत है तथा उत्पादन में गिरावट होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में कीटनाशक का छिड़काव करना आवश्यक हो जाता है।

किसान अपनी कॉटन की फसल में समय समय पर चेक करते रहे।  यह दौर किसानों के लिए कड़ी निगरानी का है। इस समय बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें। टिंडे में प्रवेश करने से पहले ही कीटनाशक का प्रयोग कर गुलाबी सुंडी को नष्ट करने का काम करें ताकि फसल के उत्पादन में कोई नुकसान ना हो।

यह कीटनाशक करें प्रयोग

प्रोफेनोफास 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ छिड़काव करें, इसके 8 से 10 दिन बात डेल्टा मैथिलिप या प्रोफानो साइबर का प्रयोग कर सकते हैं। फिर भी समस्या आती रहती है तो नरमे के फूल में छोटी-छोटी गुलाबी सुंडीया दिखाई देती है तो हिमामेटीन बेंजोइट 80 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें, अगर बीमारी ज्यादा है तो हर 15 दिन बाद इसका प्रयोग करते रहे जब तक टिंडा पूरी तरह से पक ना जाए तब तक ऐसा करते रहें।

Latest News

Featured

You May Like