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धान की मिलेगी शानदार पैदावार, रोपाई के समय इन बातों का रखें ध्यान

किसानों ने धान की रोपाई का कार्य शुरू कर दिया है क्योंकि किसानों के लिए यह खेती खरीफ के मौसम में होने वाली सबसे फायदे की खेती है। मगर धान की फसल में रोग एवं कीट लगने का खतरा भी ज्यादा बना रहता है, इसके लिए किसानों को अब चिंता नहीं करनी है। क्योंकि आज हम धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और रोगों के बारे में पूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
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धान की मिलेगी शानदार पैदावार, रोपाई के समय इन बातों का रखें ध्यान

Uttar Pradesh : मानसून के सीजन की बरसात शुरू हो गयी हैं, जिसके साथ ही किसानों ने धान की रोपाई का कार्य शुरू कर दिया है क्योंकि किसानों के लिए यह खेती खरीफ के मौसम में होने वाली सबसे फायदे की खेती है। मगर धान की फसल में रोग एवं कीट लगने का खतरा भी ज्यादा बना रहता है, इसके लिए किसानों को अब चिंता नहीं करनी है। क्योंकि आज हम धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और रोगों के बारे में पूर्ण जानकारी देने वाले हैं। जिससे किसान अपनी फसल का बचाव और रख रखा हो अच्छे से कर सकेंगे। तो चलिए जानते हैं कृषि विशेषज्ञ से किसान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग की टाइम उससे होने वाले बचाव किस प्रकार किए जाते हैं।

यूपी के रायबरेली में राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में उनका अनुभव 10 वर्षों से है। इसके बाद उन्होंने बताया कि धान की फसल खरीफ के सीजन की प्रमुख फसल में से एक है। इसी के साथ इसमें प्रमुख रूप से 6 प्रकार के कीट एवं 6 प्रकार के रोग लगते हैं। जो निम्न प्रकार से हैं।

पत्ता लपेटक : धान में इस कीट की झिल्ली हरे रंग की होती है, यह कीट अपने थूक से पत्ती के किनारो को आपस में जोड़ देता है, जिससे पत्तियां सूख जाती हैं।

तना छेदक : इस कीट का काम पौधे को नुकसान पहुंचाते है और यह केंद्रीय भाग में पहुंचकर पौधे को खराब कर देता है।

भूरा भूदका : यह ब्राउन प्लांट हाइपर किट पौधे के कणों के बीच में जमीन के ऊपर ही पाए जाते हैं जिसका कार्य पौधे को चूस कर खराब करता है।

गंधी बग कीट : यह कीट धान कि बालियों के निकलते समय ही लगता हैं, जिससे दाने का रस चूसने से पौधा सुख जाता हैं।

हरा फुदका कीट : ये कीट पौधे की पत्तियों पर होता है, जो पत्तीयों के रस को चूसकर उन्हें सूखा देता हैं, यह कीट हरे रंग का होता हैं।

धान का टिड्डा कीट : यह कीट पौधे की पत्तियों को कुतर देता हैं, जिससे पौधा सुख जाता हैं।

इसी के साथ सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी ने बताया कि धान में लगने वाले कीट से बचाव तरिके इस प्रकार है-

धान की खेती को कीटों से बचने के लिए खेत में से खरपतवारों को निकाल देना चाहिए, इसके बाद अनावश्यक नाइट्रोजन के प्रयोग से भी बचना चाहिए। किसी के साथ पत्ता लपेटक किट के नियंत्रण के लिए ट्राईजोफास 40 ई सी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से या फिर लुंबेडीयामाइड 20% डबल्यूजी 125 से 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसी के साथ तना छेदक कीट को नियंत्रण मे लाने के लिए कॉर्बोयूरान 3 जी या फिर कार टॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इसका छिड़काव करना चाहिए। धान में टिड्डा कीट को रोकने के लिए क्लोरपायरिफास 20 ई सी का घोल 1250 मिली प्रति हर फुदका, भूरा फुदका, गंधी बग और गंगई कीट को रोकने के लिए मिथाइल डेमेटोन 25 ई सी 1000 मिली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इसको फ़सल पर जर्नल हैं। इसी के साथ बाड़ में खेत से घास को निकाल देना चाहिए।
 

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