देश में धूम मचाएगा अब सीहोरी अमरूद, सरकार ने बनाई ये योजना, 50 करोड़ होंगे खर्च
Saral Kisan, Sehori Guava : अगर हम अमरूद की बात करें तो अमरूद की खेती अच्छा मुनाफा देती है, अब भारत के बाजार में सीहोर की शरबती गेहूं के बाद में अपनी वैल्यू बढ़ाने के लिए तैयार हो रहा है सिहोरी अमरूद, शुरुआती वर्ष में ही 4 लाख 15 हजार अमरूद के पौधे लगाने के लिए तैयारी जोरों शोरों पर, जुलाई में यहां पर हो जाएगा बगीचा तैयार, सिहोरी अमरूद की खेती को बढ़ावा देकर सरकार सीहोर पर प्रयोग कर रही है, चने, सोयाबीन और गेहूं के साथ जिले में 50 करोड रुपए की राशि की लागत से 2 हजार एकड़ भूमि पर है अमरूद का बगीचा लगाने की कार्य प्रणाली की योजना बनाई जा रही है।
सिहोरी अमरूद की बागवानी खेती के लिए 200 पंचायत को 16 क्लस्टर में बांटकर किसानों का सूची तैयार की जा रही है। हर ग्राम पंचायत से तकरीबन 10 किसानों को लिस्ट में लिया जाएगा। खास यह है कि सरकार न केवल किसानों को अमरूद की खेती के लिए एक एकड़ पर 1 लाख 80 हजार रुपए देगी और फसल को बेचने के लिए मार्केटिंग भी करेगी।
फसलों का अच्छा भाव मिलेगा
किसान कोअपनी फसल के अच्छे दाम मिले, इसके लिए फसल बेचने के लिए जिला प्रशासन कंपनियों से अनुबंध करेगा। सुरू होते ही इस वर्ष 2000 एकड़ भूमि पर 4 लाख 15 हजार सिहोरी अमरूद का बाग लगाएगा। इस योजना के लिए जिले से 17 सो किसानों शामिल किया जा रहा है।
जिले की पंचायत के ceo आशीष तिवारी ने बताया कि जुलाई महीने तक अमरूद का बाग तैयार किया जाएगा। इसी योजना के दौरान पौधा रोपण भी हो जाएगा। इससे योजना के पहले बागवानी विभाग किसानों को अमरूद की खेती के लिए परशिक्षण देगा। बढ़िया वेरायटी के भी पौधे उपलबद्ध करवाएगा।
कार्य प्रणाली तीन विभाग के जरिए चलेगी, योजना मे उद्यानिकी, कृषि, वाटरशेड और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग शामिल होंगे। कार्य के पहले चरण में 2000 एकड़ भूमि में अमरूद के पौधे लगाए जाएंगे। 15 महीने में फसल का उत्पादन शुरू होगा। गेहूं-चना के साथ अमरूद की खेती होगी। सोयाबीन की बोवनी भी किसान कर सकेंगे। दूसरे चरण में अमरूद की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का काम होगा।
फसल बेचने में सरकार करेगी मशक्कत
आपको बता दें कि इस परियोजना में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए खुद को मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी, भारत सरकार इन अमरूदों के लिए मार्केटिंग करेगी। इस कार्य परियोजना में जिले की 200 ग्राम पंचायतों में 16 क्लस्टर से किसान जुड़ रहे हैं। फिलहाल एक वर्ष में सिर्फ दो फसल गेहूं और चने की पैदावार होती है। जिले में क्लस्टर बनाकर अमरूद के बाग लगाने की परियोजना पर काम चल रहा है। इस परियोजना से किसानों की आय बढ़ेगी। परंपरागत खेती से हटकर नया करने का मौका मिलेगा। इस योजना का बजट मनरेगा से मिलेगा।