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बाजरा की खेती करवा देगी मालामाल, इन बातों को ध्यान में रखकर फसल रहेगी रोग से सुरक्षित, पैदावार होगी बंपर

Agriculture News : बाजरे की बुवाई अब खत्म हो चुकी है. जिस भी किसान भाई ने बाजरे की बुवाई की है  उनके लिए यह खबर जरूरी होने वाली है।  अब पौधे अपनी प्रगति पर आ चुके हैं तो ऐसे समय में कुछ समस्या भी आने वाली हैं, लेकिन इन समस्याओं को नजर अंदाज करना किसानों के लिए भारी पड़ सकता है. 

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बाजरा की खेती करवा देगी मालामाल, इन बातों को ध्यान में रखकर फसल रहेगी रोग से सुरक्षित, पैदावार होगी बंपर

How To Protect Millet From Stem Borer Insect : किसान भाई  बाजरे की बुवाई कर चुके हैं. बाजरे की बुवाई किए हुए लगभग एक महीने का समय बीत चुका है.   अब फसल अपने प्रगति के दौर पर है. अब चलती फसल में समस्या आना तो आम बात है. बाजरे की फसल अब अपने प्रगति के दौर पर है तो समस्याओं को नजर अंदाज करना किसान भाइयों के लिए मुश्किल हो सकती है और सारी फसल बर्बाद हो सकती है. 

अहम पहलुओं को फोकस करें किसान 

कुछ अहम पहलुओं को फोकस कर किसान अपनी फसल की देखरेख कर सकते हैं. छोटी-मोटी बातों को ध्यान में रखकर ना तो केवल फसल सुरक्षित होगी बल्कि अच्छी पैदावार भी किसान भाइयों को मिलेगी. आज के समय में बाजार बहुत उपयोगी हो चुका है. बाजार का सेवन करने से डायबिटीज की समस्या दूर हो जाती है. इसी को लेकर बाजार हमारे भोजन में अति महत्वपूर्ण जगह ले चुका है. 

बाजरे की फसल का रखें खास ख्याल 

मुरली मनोहर टाउन महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जब बाजरे की बुवाई होने के बाद पौधा 6 इंच 8 इंच और 10 इंच का होने लगे तो इस समय में पौधे की देखभाल करना अति जरूरी हो जाता है. अगर आपकी फसल को बोये हुए एक महीना बीत चुका है तो फसल की निराई गुड़ाई कर दें. ताकि पौधे की बढ़वार अच्छी तरह से हो सके. 

जब आपकी फसल 2 महीने की हो जाए तो उसमें एक किट लगने का खतरा सबसे ज्यादा बना रहता है. इस किट को तना छेदक किट के नाम से पहचाना जाता है. किसान भाइयों को इस किट से सावधान रहने की अति आवश्यकता है. आगे समय बीतने के साथ-साथ जब बाजरे की उम्र बढ़ने लगती है तो उसमें फूल और बालिया आने लगती है. उसमें बाजरे में फफूंद जनित बीमारी के नाम से दिक्कत आती है. बाजरे की फसल में बिस्कुट और बीमारी के प्रति जागरूक रहना किसानों के लिए अति जरूरी होता है.

तना छेदक कीट से बचाव के लिए डेसिस 2.8 प्रतिशत का अल्फामेथरीन फसल को 45 से 50 दिन की उम्र में छिड़काव करें. दो मिलीलीटर दवाई को 1 लीटर पानी के अनुपात में शाम या सुबह छिड़काव करें, तो फसल पूरे सत्र में किसी भी कीट का हमला नहीं होगा। यदि बीमारी है तो बीज को उपचारित करके बोएं, क्योंकि फफूंद सिर्फ फसल को नष्ट कर देता है। अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूखी जमीन दीमक रोग को प्रभावित करती है। ऐसी स्थिति में, खेत में पर्याप्त नमी रखने का प्रयास करें और अगर दीमक का संकेत मिलता है तो फिनोल फॉस का उपयोग करें। इस तरह की देखरेख के बाद फसल अच्छी पैदावार देगी।
 

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