Kheti Badi : मूंगफली की बिजाई के समय जरूरी है ये काम, कीट और जड़ के रोगों से मिलेगा छुटकारा
Kheti Kisani News : खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली मूंगफली की फसल को एक मुख्य तिलहन फसल माना जाता है। मूंगफली की बिजाई जून महीने के दूसरे या तीसरे सप्ताह में शुरू हो जाती है।
Agriculture News : खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली मूंगफली की फसल को एक मुख्य तिलहन फसल माना जाता है। मूंगफली की बिजाई जून महीने के दूसरे या तीसरे सप्ताह में शुरू हो जाती है। अगर आप भी मूंगफली का बढ़िया उत्पादन लेना चाहते हैं तो इसे कीटों और रोगों से बचाना बहुत जरूरी होता है। मूंगफली की फसल पर दीमक, सफेद लट आदि कई तरह के हानिकारक कीटों का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। मूंगफली की फसल में कॉलर रॉट रोग से सबसे अधिक नुकसान होता है। इसलिए मूंगफली की बुवाई से पहले बीज उपचार सबसे जरूरी होता है।
कैसे करें उपचार
राजस्थान कृषि विभाग ने बताया कि मूंगफली की फसल को कीटों से बचने के लिए बीज उपचार करने की जरूरत होती है। बीज का उपचार करते समय हाथों में दस्ताने और मुंह पर मास्क पहनना जरूरी है। मूंगफली की फसल में आने वाले गलकट रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं और पौधों को उखाड़ने पर उनकी कॉलर भाग और जड़ों पर फफूद की काली बढ़ोतरी दिखाई देती है। इस रोग से बचने के लिए बी का उपचार बहुत जरूरी है।
बिजाई का तरीका
मूंगफली की फसल को कीटों से बचने के लिए बुवाई के समय आपको 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टर में छिड़काव करना होगा। इसके साथ साथ आप करबोक्सिन 37.5 प्रतिशत, थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज उपचार करें। इसके साथ-साथ अगर आप रासायनिक फफूंद नाशी का उपयोग करते हैं तो 1.5 ग्राम थाइरम के साथ 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से भी प्रति किलो बीज उपचार कर सकते हैं।
कैसे होंगे जमीन के कीट नष्ट
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मूंगफली की फसल को भूमिगत किट सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। भूमिगत कीटों को खत्म करने के लिए बुवाई से पहले ढाई सौ किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालनी चाहिए। इसके साथ-साथ आपको एमिडाक्लोफ्रेड 600 एफएस से 6.5 मिलीलीटर प्रति किलो के हिसाब से बीज उपचार करें। खासकर जिन क्षेत्रों में सफेद लट प्रकोप होता है। वहां पर फसल को बचाने के लिए एमिडा क्लोप्रिड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जीवाणु कल्चर से करें बीजों का उपचार
अगर बीजों को बुवाई से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचार किया जाता है तो उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। राइजोबियम कल्चर से उपचार करने के लिए आपको 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ डालना होगा। पानी को गर्म करके गुड़ के साथ गोल बना ले और ठंडा होने के बाद 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलाए। यह मिश्रण खेत में बोई जाने वाले बीज में इस तरह मिलाएं की बीजों पर एक परत बन जाएं। वेद को 6 घंटे के लिए छाया में सुख कर रख दें। और फिर बिजाई के लिए तैयार है।