बारिश के मौसम में मक्का फसल में इन लक्षणों पर रखें ध्यान, खेती हो सकती है बर्बाद
Makka Ki Kheti :देश में फिलहाल बरसाती सीजन चल रहा है। मानसूनी सीजन में मक्के की फसल अपना अहम स्थान रखती है। इस बीच ज्यादा बारिश की वजह से मक्के की फसल में कई संक्रमित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इन बीमारियों से बचाव हेतु जानिए एक्सपर्ट की राय।
Makke Ki Kheti Kaise Kre : मध्य प्रदेश के सागर जिले में मक्के की पैदावार अच्छी होती है। यहां के किसान मक्के की बुवाई अधिकतर करते हैं। इस बार किसानों का मक्के की तरफ अच्छा रुझान होने की वजह से 5000 हेक्टेयर में हुई है।
इस समय मानसूनी सीजन में लगातार अच्छी बारिश हो रही है। ज्यादा बारिश की वजह से मक्का के शंकर प्रजाति में कुछ बीमारी कॉपर कॉप देखा गया है। यह बीमारी बैक्टीरिया स्टॉक राट के नाम से जानी जाती है। यह एक संक्रमित बीमारी है एक पेड़ से दूसरे पेड़ को अपने संक्रमण में ले लेती है। इस बीमारी से ग्रस्त हुए पौधे को खेत से उखाड़ कर गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए। साथ ही नियंत्रण संबंधित कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए।
मध्य प्रदेश के सागर जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर आशीष त्रिपाठी ने बताया कि जिले में विभिन्न जगहों से इस तरह की बीमारी से ग्रस्त चलो की सूचनाओं मिल रही है। किसानों का कहना है कि मक्के की फसल संभल जाने के बाद भी उसका तना अपने आप टूट कर गिर रहा है। जिससे किसानों की फसल बर्बाद होने के कारण उत्पादन पर गहरा असर पड़ रहा है। इसके बाद कृषि वैज्ञानिक ने जगह-जगह के इलाकों में दर्जनों गांव का दौरा किया और खेत में पहुंचकर फसल का निरीक्षण किया। इसमें उन्हें बैक्टीरिया स्टॉक रोट नामक बीमारी मिली।
बीमारी से ग्रस्त फसलों के लक्षण
फसल गलने की वजह से जमीन पर गिरने लगती है। उसके टूटे हुए तने से अल्कोहल जैसी बदबू आने लगती है। यदि आपकी भी फसल में ऐसा हो रहा है तो ग्रसित पौधे को उखाड़ कर खेत से अलग कहीं गड्ढे में दबा दें ताकि अन्य पौधों को अपनी चपेट में ना ले।
रोकथाम कैसे करें
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आशीष त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए कहा कि यह बीमारी हाइब्रिड की मक्के में ज्यादा देखने को मिलती है। किसान ज्यादा उत्पादन देने के लिए यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं। इससे खेत में बारिश होने की वजह से नमी अधिक बढ़ती है। रोग से बचाव हेतु यूरिया का प्रयोग कम कर दें। साथ ही बीमारी की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड, कॉपर हाइड्रोक्साइड हाईडाइट, इस तरह की पेस्टिसाइड बाजार मिल जाती है। किसान जब तक रोग नष्ट ना हो तब तक निरंतर उनका छिड़काव करते रहे।