अनपढ़ महिला को आया बिजनेस का ऐसा आइडिया, रोजाना कर रही 1000 की कमाई
Kheti Kisani : मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड जिला खेती किसानी के मामले में इतना आगे बढ़ गया है, कि यहां के किसानों के साथ-साथ घर की महिलाएं भी खेती में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। दमोह जिले के वीजा डोगरा गांव की महिला किसान ने खेती की नई तकनीक को अपनाकर मिसाल कायम कर दी है। गांव की रहने वाली 45 वर्षीय संजलि बहू रैकवार अशिक्षित महिला है। लेकिन गिलकी की खेती करके रोजाना ₹1000 की कमाई कर रही है।
संताली बहू ने बातचीत के दौरान बताया कि गिलकी की खेती करने का आईडिया उन्हें रेडियो पर चल रही एक खबर के दौरान आया था। गिलकी की खेती के लिए सबसे सही समय बरसात का मौसम होता है। बरसात के दौरान गिलकी के बीजों को ऊंची क्यारियों में बो दिया जाता है।
इसके साथ ही जब मौसम गर्मी का शुरू हो जाता है तो बीजों को गड्ढे में बोया जाता है। गिलकी की खेती करने के लिए नमी वाली जगह की जरूरत पड़ती है। गार्डन या गमले की मिट्टी मैं नमी बनाए रखने के लिए आप पौधे पर मल्चिनिंग कर सकते हैं।
कैसे करें गिलकी की खेती
गिलकी की खेती में अच्छी पैदावार लेने के लिए इसे ऊंची कार्यों में बोया जाता है। बुवाई करने के बाद इसमें करीबन एक महीना लगता है और आपको फलदार बेल दिखाई देने लगेगी। थोड़ी बड़ी होने के बाद बैलों को बस की लकड़ी या फिर तार के सहारे ऊपर लटका दिया जाता है। ताकि जमीन में पनपना वाले कीट पतंग से बेलों को कोई नुकसान ना हो।
गिलकी की खेती करने के लिए ट्रेलिस प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रणाली का इस्तेमाल करके संजलि बहू ने एक एकड़ से बढ़िया उत्पादन लिया है। आज वह रोजाना हजार रुपए की कमाई कर रही है।
संताली बहू के पति लेखन रैकवार ने बताया कि वह जिस हिस्से में रहते हैं वहां जैविक तरीके से सब्जी की खेती की जाती है। इन सब्जियों की खेती के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। खेती में प्रयोग होने वाले खाद और बीजों का इस्तेमाल जैविक तरीके से किया जाता है।